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उल्हासनगर शहर में पहली बार भगवान गुहाराज निषाद की जंयती मनाई गई।

 

उल्हासनगर : नीतू विश्वकर्मा

उल्हासनगर शहर उल्हासनगर शहर में पहली बार भगवान गुहाराज निषाद की जंयती मनाई गई।महाराज प्रयागराज निषाद, तिरथराज निषाद के पुत्र गुहराज निषाद ने अपनी नाव में प्रभु श्रीराम को गंगा के उस पार उतारा था। आज गुहराज निषाद के वंशज और उनके समाज के लोग उनकी पूजा अर्चन करते हैं।निषादराज गुह मछुआरों और नाविकों के राजा थे। उनका ऋंगवेरपुर में राज था। उन्होंने प्रभु श्रीराम को गंगा पार कराया था। वनवास के बाद श्रीराम ने अपनी पहली रात उन्हीं के यहां बिताई थी। श्रृंगवेरपुर में इंगुदी (हिंगोट) का वृक्ष हैं जहां बैठकर प्रभु ने निषादराज गुह से भेंट की थी।

उल्हासनगर ३ के हिराघाट परिसर में दिपु निषाद के अध्यक्षाता में निषाद भाइयों को जोड़ने का काम किया गया और मछुआ समाज एकता संघ निषाद समाज के दिपु निषाद सरवन निषाद, हरिलाल निषाद, फेकू निषाद, श्रीकांत निषाद दिनेश निषाद, और बहुत से निषादो की तरफ से निषादराज भगवान की जयंती का कार्यक्रम बड़े ही धूमधाम से मनाया गया उल्हासनगर में पहली बार करीब ३०० निषाद भाई बहिनों के साथ कार्यक्रम सफल हुआ।

शहर के लाडले नेता पप्पू कालानी साहेब और शिवसेना महानगर प्रमुख राजेंद्र चौधरी जी  जाकर भगवान गुहाराज निषाद जंयती मनाई साथ में संतोष पांडे, मनोज लासी, शिवाजी रगड़े, नरेश साल्वे मोनू सिद्धकी, महेश आहुजा, ख्वाजा शेख़, राजू खान, योगेश पाटिल, भरत शिवनानी श्रीलरतन जाधव देवा कोली।आए हुए सभी निषाद भाईयों का दीपू निषाद ने धन्यवाद किया.

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