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उल्हासनगर में गड्ढों को लेकर अनोखा विरोध प्रदर्शन — साड़ी पहनकर पुरुषों ने किया डांस, महिला आयुक्त का ध्यान खींचने की कोशिश!



उल्हासनगर : नीतू विश्वकर्मा

शहर की जर्जर सड़कों और गड्ढों से परेशान नागरिकों ने उल्हासनगर महानगरपालिका की महिला आयुक्त का ध्यान आकर्षित करने के लिए एक अनोखा और प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान पुरुषों ने साड़ी पहनकर गड्ढों में नाचते हुए विरोध जताया और प्रशासन को जगाने के लिए गड्ढों पर आधारित गीत भी गाए।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उल्हासनगर शहर की सड़कों की हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि रोज़मर्रा के नागरिकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है, विशेष रूप से महिलाओं और गर्भवती महिलाओं को। इस बार बारिश के चलते शहर की अधिकतर डामर की सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गई हैं — यहां तक कि कई सीमेंट सड़कों पर भी गड्ढे उभर आए हैं।

प्रदर्शन में शामिल सामाजिक कार्यकर्ता राधाकृष्ण साठे ने बताया,

> “शहर की हर सड़क पर गड्ढे हैं, जिससे आम नागरिकों के साथ-साथ महिलाएं भी परेशान हैं। चूंकि महानगरपालिका की कमिश्नर समेत कई प्रमुख पदों पर महिलाएं कार्यरत हैं, तो उनसे उम्मीद की जाती है कि वे महिलाओं की असुविधा को समझें और तुरंत सड़कों की मरम्मत करवाएं। इसी उद्देश्य से हमने महिलाओं के रूप में प्रदर्शन किया है।”


शहर के कई स्थानों पर नागरिकों ने प्रतीकात्मक रूप से महिला रूप में साड़ी पहनकर सड़कों के गड्ढों में नाचकर महानगरपालिका को “जगाने” का प्रयास किया। प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि जनता ईमानदारी से टैक्स देती है, लेकिन उसके बदले में मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। यह सरासर अन्याय है।

इस संबंध में जब उल्हासनगर महानगरपालिका के जनसंपर्क अधिकारी अजय साबळे से पूछा गया, तो उन्होंने कहा,

> “महानगरपालिका ने सभी विभाग प्रमुखों को गड्ढों को भरने का निर्देश दिया है। बड़े गड्ढों को पहले भरा गया है ताकि कोई बड़ी दुर्घटना न हो, और अन्य गड्ढों को भरने का काम जारी है।”


🔴 लेकिन सवाल यह उठता है कि — क्या टैक्स चुकाने वाली जनता को तब तक इंतजार करना होगा जब तक कोई हादसा न हो? क्या यह प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है कि बारिश से पहले ही सड़कें दुरुस्त की जाएं?

इस प्रदर्शन के ज़रिए नागरिकों ने साफ संदेश दिया है — अब बर्दाश्त नहीं! टैक्स के बदले सम्मान और सुविधा चाहिए, बहाने नहीं।हासनगर: शहर की जर्जर सड़कों और गड्ढों से परेशान नागरिकों ने उल्हासनगर महानगरपालिका की महिला आयुक्त का ध्यान आकर्षित करने के लिए एक अनोखा और प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान पुरुषों ने साड़ी पहनकर गड्ढों में नाचते हुए विरोध जताया और प्रशासन को जगाने के लिए गड्ढों पर आधारित गीत भी गाए।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उल्हासनगर शहर की सड़कों की हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि रोज़मर्रा के नागरिकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है, विशेष रूप से महिलाओं और गर्भवती महिलाओं को। इस बार बारिश के चलते शहर की अधिकतर डामर की सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गई हैं — यहां तक कि कई सीमेंट सड़कों पर भी गड्ढे उभर आए हैं।

प्रदर्शन में शामिल सामाजिक कार्यकर्ता राधाकृष्ण साठे ने बताया,

> “शहर की हर सड़क पर गड्ढे हैं, जिससे आम नागरिकों के साथ-साथ महिलाएं भी परेशान हैं। चूंकि महानगरपालिका की कमिश्नर समेत कई प्रमुख पदों पर महिलाएं कार्यरत हैं, तो उनसे उम्मीद की जाती है कि वे महिलाओं की असुविधा को समझें और तुरंत सड़कों की मरम्मत करवाएं। इसी उद्देश्य से हमने महिलाओं के रूप में प्रदर्शन किया है।”


शहर के कई स्थानों पर नागरिकों ने प्रतीकात्मक रूप से महिला रूप में साड़ी पहनकर सड़कों के गड्ढों में नाचकर महानगरपालिका को “जगाने” का प्रयास किया। प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि जनता ईमानदारी से टैक्स देती है, लेकिन उसके बदले में मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। यह सरासर अन्याय है।

इस संबंध में जब उल्हासनगर महानगरपालिका के जनसंपर्क अधिकारी अजय साबळे से पूछा गया, तो उन्होंने कहा,

> “महानगरपालिका ने सभी विभाग प्रमुखों को गड्ढों को भरने का निर्देश दिया है। बड़े गड्ढों को पहले भरा गया है ताकि कोई बड़ी दुर्घटना न हो, और अन्य गड्ढों को भरने का काम जारी है।”


🔴 लेकिन सवाल यह उठता है कि — क्या टैक्स चुकाने वाली जनता को तब तक इंतजार करना होगा जब तक कोई हादसा न हो? क्या यह प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है कि बारिश से पहले ही सड़कें दुरुस्त की जाएं?

इस प्रदर्शन के ज़रिए नागरिकों ने साफ संदेश दिया है — अब बर्दाश्त नहीं! टैक्स के बदले सम्मान और सुविधा चाहिए, बहाने नहीं।

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- नीतू विश्वकर्मा

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