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उल्हासनगर में सिंधी समाज का पलायन: जिम्मेदार कौन?

उल्हासनगर : नीतू विश्वकर्मा

उल्हासनगर में सिंधी समाज का लगातार पलायन चिंता का विषय बनता जा रहा है। सवाल यह उठता है कि इसके पीछे असली जिम्मेदार कौन हैं – शहर के नेता या प्रशासन? मौजूदा समय में उल्हासनगर के राजनीतिक परिदृश्य में जो घटनाएं हो रही हैं, वे समाज के विकास में बाधक साबित हो रही हैं।

चुनावी समीकरण: कालानी, ऐलानी और राजवानी के बीच संघर्ष

शहर की राजनीति में तीन प्रमुख सिंधी नेता, कालानी, ऐलानी, और राजवानी, आपस में संघर्ष करते नजर आ रहे हैं। ऐलानी और राजवानी, जो एक ही गठबंधन की सरकार में होने के बावजूद चुनावी मैदान में एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं, इस संघर्ष ने शहर की राजनीतिक स्थिति को और भी पेचीदा बना दिया है। इसके चलते आम जनता का नुकसान हो रहा है, और शहर के विकास के मुद्दे पीछे छूटते जा रहे हैं।

क्या जनता के हितों से हो रही अनदेखी?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन तीनों नेताओं के बीच की आपसी खींचतान के कारण शहर की आम जनता प्रभावित हो रही है। चुनाव से पहले कई नेता अपनी दावेदारी करते हैं, लेकिन बाद में अपने व्यक्तिगत लाभ और वरिष्ठ नेताओं के दबाव में वे हाथ खींच लेते हैं। जनता की फिक्र किए बिना, वे केवल अपने स्वार्थ को साधते हैं।

कौन मार सकता है बाजी?

ऐसी स्थिति में, उल्हासनगर की जनता के बीच यह चर्चा जोरों पर है कि क्या इन नेताओं के बीच की आपसी लड़ाई किसी और नेता के लिए जीत की राह आसान कर सकती है। अगर स्थिति ऐसे ही रही, तो यह भी संभव है कि कोई नया चेहरा राजनीति में बाजी मार ले और शहर की कमान संभाले।

उल्हासनगर की जनता को अब यह देखना होगा कि कौन-सा नेता उनके हितों की सही से रक्षा करेगा, और शहर के विकास को प्राथमिकता देगा।

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