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अवैध TDR और आरक्षित क्रेडिट प्रमाणपत्रों में घोटाला, एडवोकेट स्वप्निल पाटिल ने रद्द करने की मांग।

उल्हासनगर: नीतू विश्वकर्मा

उल्हासनगर में एक बड़े भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है, जहां अवैध रूप से TDR (Transferable Development Rights) और आरक्षित क्रेडिट प्रमाणपत्र (RCC) जारी किए गए हैं। एडवोकेट स्वप्निल पाटिल ने उल्हासनगर महानगरपालिका (UMC) के अधिकारियों को पत्र लिखकर इन अवैध TDR/RCC प्रमाणपत्रों को रद्द करने और इस घोटाले की पूरी जांच की मांग की है।

घोटाले का खुलासा: एडवोकेट पाटिल ने अपने पत्र में कहा है कि UMC द्वारा 03/01/2024 को जारी DRC प्रमाणपत्र और 09/01/2024 को स्वीकृत भवन योजना में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हैं। पूर्व कमिश्नर अजीज शेख और ADTP ललित खोड़ाग्रादे ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए 7.40 करोड़ रुपये का RCC जारी किया और 12,373.40 वर्ग मीटर TDR आवंटित किया, जिससे शहर की वित्तीय स्थिति पर भारी असर पड़ा है।

वित्तीय धोखाधड़ी का खुलासा: पाटिल ने अपने पत्र में दर्शाया कि 2021 में श्री हरी चुहरमल वाधवा के नाम पर किए गए एक कन्वेयंस डीड (CD) में 31,500 वर्ग फीट के हिसाब से ₹74,02,500/- की राशि होनी चाहिए थी, लेकिन केवल ₹8,22,500/- की गणना की गई। यह ₹65,80,000/- की वित्तीय धोखाधड़ी है।

DP रोड पर अवैध CD जारी: पत्र में आगे बताया गया है कि 2017 के विकास योजना (DP) के अंतर्गत आरक्षित DP रोड से प्रभावित संपत्ति के बावजूद CD जारी कर दी गई। यह विकास कानूनों का उल्लंघन है और अधिकारियों की मिलीभगत का संकेत देता है।

आरक्षित प्लॉट पर अवैध CD जारी: एक अन्य गंभीर आरोप में पाटिल ने कहा कि एक आरक्षित प्लॉट पर CD जारी की गई, जो कानून का उल्लंघन है। यह भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत का उदाहरण है, जिन्होंने नियमों को ताक पर रखकर प्लॉट का दोबारा बंटवारा किया है।

अनियमित प्लॉट बंटवारा और जोन सर्टिफिकेट की कमी: प्लॉट का बंटवारा बिना किसी दस्तावेज के किया गया, और फाइल में जोन प्रमाणपत्र का अभाव है, जो किसी भी विकास योजना की मंजूरी के लिए अनिवार्य है।

भू-हस्तांतरण में अनियमितता: पाटिल ने आरोप लगाया कि आरक्षित क्षेत्र केवल कागजों पर सौंपे गए हैं, जबकि जमीन का भौतिक कब्जा UMC को नहीं दिया गया है, फिर भी RCC प्रमाणपत्र जारी कर दिए गए।

पूर्व कमिश्नर और ADTP पर गंभीर आरोप: पूर्व कमिश्नर अजीज शेख और ADTP ललित खोड़ाग्रादे पर भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए, पाटिल ने बताया कि इन अधिकारियों ने गैरकानूनी रूप से RCC और TDR/DRC जारी किए हैं, जिससे शहर की वित्तीय स्थिति को गंभीर नुकसान पहुंचा है।

UDCPR नियमों का उल्लंघन: पत्र में UDCPR नियमों का उल्लंघन भी उजागर किया गया, जिसमें कहा गया कि जमीन का 70% हिस्सा मुफ्त में UMC को सौंपा जाना चाहिए था, लेकिन इसे कागजों पर ही दिखाया गया और अवैध RCC प्रमाणपत्र जारी कर दिए गए। साथ ही, 25-मंजिला इमारत का स्वीकृत प्लान भी नियमों के विरुद्ध है।

अत्यधिक FSI खपत: पाटिल ने कहा कि स्वीकृत योजना में FSI की अत्यधिक खपत हुई है, जो UDCPR के नियमों के खिलाफ है। बिल्डिंग प्लान में कुल निर्मित क्षेत्र 16,140 वर्ग मीटर दिखाया गया है, जबकि नियमों के अनुसार यह सीमा से बाहर है।

पाटिल की मांग: एडवोकेट स्वप्निल पाटिल ने UMC से निम्नलिखित कार्यवाही की मांग की है:

1. अवैध TDR और RCC प्रमाणपत्र रद्द किए जाएं।

2. मामले की गहन जांच कर संबंधित अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

3. टाउन प्लानिंग विभाग में सभी प्रीमियम और विकास शुल्क समायोजन की गतिविधियां तब तक रोकी जाएं जब तक मामला हल न हो जाए।

4. 09/01/2024 को स्वीकृत भवन योजना को रद्द किया जाए।

उन्होंने इन आरोपों के समर्थन में दस्तावेज भी संलग्न किए हैं और UMC से इस मामले पर त्वरित कार्रवाई की मांग की है।

यह मामला न केवल भारी भ्रष्टाचार का संकेत देता है, बल्कि इससे शहर के वित्तीय संसाधनों पर भी गंभीर प्रभाव पड़ा है।

Shaurya Times

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