बिल्डरों में फूटा गुस्सा: उल्हासनगर बिल्डर डेवलपर्स एसोसिएशन बना राजनीति का अखाड़ा!

उल्हासनगर : नीतू विश्वकर्मा
उल्हासनगर में नवगठित बिल्डर डेवलपर्स एसोसिएशन को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। शिवसागर होटल में हुई बैठक में एसोसिएशन का गठन तो हुआ, लेकिन इसकी प्रक्रिया और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। बिल्डरों का आरोप है कि यह संगठन जनहित के बजाय राजनीतिक नेताओं का मंच बनकर रह गया है।
बिना विरोध चुनाव पर बिल्डरों में आक्रोश
इस बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से जुड़े भरत गंगोत्री को अध्यक्ष, टीओके पार्टी के अमर जग्यासी को सचिव और भाजपा के राजा जेमनानी, टीओके के दिनेश लहरानी व कमल डेम्बा जैसे नेताओं को सदस्य बनाया गया। हैरानी की बात यह है कि यह पूरा चयन बिना किसी विरोध और सूचित प्रक्रिया के किया गया।
करीब 60 से अधिक स्थानीय बिल्डरों ने नाराज़गी जताते हुए कहा है कि उन्हें इस चुनाव प्रक्रिया की कोई जानकारी नहीं थी। उनका कहना है कि कुछ खास चेहरों को ही जानबूझकर शामिल किया गया, जबकि बाकी बिल्डर्स को जानबूझकर अंधेरे में रखा गया।
“बिल्डर नहीं, ठेकेदार हैं कई सदस्य”
एक और बड़ा खुलासा यह है कि संगठन में शामिल किए गए कई लोग बिल्डर नहीं बल्कि निर्माण ठेकेदार हैं। इससे साफ होता है कि यह एसोसिएशन वास्तविक बिल्डरों की आवाज़ नहीं है, बल्कि कुछ लोगों के निजी स्वार्थों की पूर्ति का माध्यम बन गई है।
पप्पू कलानी के दौर की याद दिलाता ‘खेल’
स्थानीय बिल्डरों के बीच चर्चा है कि यह कदम पप्पू कलानी के दौर की याद दिलाता है, जब ‘ग्रीन-रेड कार्ड’ के माध्यम से बिल्डरों पर दबाव बनाया गया था। अब गंगोत्री और उनकी टीम पर भी इसी तरह के ‘खेल’ की आशंका जताई जा रही है।
“खुले और पारदर्शी चुनाव से क्यों डर?”
बिल्डर समुदाय का कहना है कि यदि यह संगठन वास्तव में पारदर्शी होता, तो खुले आम चुनाव करवाए जाते और हर बिल्डर को शामिल किया जाता। “बिना विरोध चुनाव सिर्फ शक्ति प्रदर्शन है, न कि जनहित का प्रतिनिधित्व,” – ऐसा कहना है कई वरिष्ठ बिल्डरों का।
आने वाला समय तय करेगा दिशा
इस पूरे घटनाक्रम के बाद उल्हासनगर के बिल्डर समुदाय में गहरी नाराजगी और अविश्वास का माहौल है। बिल्डरों की मांग है कि इस एसोसिएशन को भंग कर पारदर्शी तरीके से नया चुनाव कराया जाए, जिसमें हर बिल्डर की भागीदारी सुनिश्चित हो।
निष्कर्ष:
उल्हासनगर बिल्डर डेवलपर्स एसोसिएशन की स्थापना ने एक ओर जहां कुछ लोगों को नेतृत्व का मंच दिया, वहीं दूसरी ओर बिल्डर समुदाय को गहरी निराशा और संदेह में डाल दिया है। यदि यह संगठन वाकई बिल्डरों के हित में है, तो उसे पारदर्शिता और निष्पक्षता की कसौटी पर खरा उतरना होगा।