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उल्हासनगर मनपा को मिला ‘राज्य में प्रथम स्थान’ — लेकिन ज़मीनी तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही है!


उल्हासनगर  : नीतू विश्वकर्मा

महाराष्ट्र सरकार की 100 दिनों की कार्यप्रगति रिपोर्ट में उल्हासनगर महानगरपालिका को शीर्ष स्थान प्रदान किया गया है। यह सम्मान जहाँ शासन-प्रशासन के लिए एक गौरवपूर्ण उपलब्धि के रूप में प्रस्तुत किया गया, वहीं स्थानीय नागरिकों के लिए यह खबर हैरत और असमंजस से भरी है। कारण स्पष्ट है — शहर की ज़मीनी हकीकत इस ‘प्रथम स्थान’ से मेल नहीं खाती।

जर्जर सड़कें और अधूरे वादे:
शहर की सड़कें अब भी गड्ढों और धूल-मिट्टी से अटी पड़ी हैं। आए दिन हो रही दुर्घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि सड़क सुधार का कार्य सिर्फ़ फाइलों में ही सीमित रहा है।

पेयजल आपूर्ति — स्वच्छता या संकट?
विकास का दावा करने वाली मनपा अब तक नागरिकों को स्वच्छ पेयजल तक उपलब्ध नहीं करा सकी है। कई क्षेत्रों में बदबूदार, गंदा और अशुद्ध पानी नागरिकों के हिस्से में आ रहा है, जिससे बीमारियां फैलने का ख़तरा बना हुआ है।

स्वच्छता मिशन — सिर्फ़ पोस्टर तक सीमित:
सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है। गलियों में कचरे के ढेर, टूटी नालियां और उड़ती धूल शहर की बदहाल तस्वीर को उजागर करते हैं। ‘स्वच्छ भारत’ के नारों की गूंज है, लेकिन ज़मीनी क्रियान्वयन शून्य के करीब।

ड्रेनेज सिस्टम — नागरिकों की जान पर बन आई है:
अंडरग्राउंड ड्रेनेज प्रोजेक्ट वर्षों से अधूरा है। खुदाई के खुले गड्ढे और अव्यवस्थित कार्यप्रणाली के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं।

भ्रष्टाचार और अफरातफरी — पारदर्शिता पर सवाल:
बोगस TDR घोटाले, PWD विभाग में संदिग्ध खर्चे और बाकी विभागों में व्याप्त अव्यवस्था — ये सब नागरिकों की नज़रों से ओझल नहीं हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह ‘नंबर वन’ का तमगा हकीकत पर आधारित है, या फिर आंकड़ों और रिपोर्टों की बाज़ीगरी?

जनता पूछ रही है — आख़िर बदला क्या है?
शहर की बुनियादी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। नागरिक खुले तौर पर सवाल कर रहे हैं — “क्या यह रैंकिंग किसी अंदरूनी ‘सेटिंग’ का नतीजा है?” अगर नहीं, तो फिर किस आधार पर उल्हासनगर को अव्वल घोषित किया गया?

अब ज़िम्मेदारी सरकार की है — जवाबदेही तय होनी चाहिए।
यदि राज्य सरकार अपनी रिपोर्टिंग को पारदर्शी और भरोसेमंद बनाना चाहती है, तो उसे ज़मीनी सच्चाई को स्वीकार करना होगा — क्योंकि उल्हासनगर आज भी वैसा ही है: उपेक्षित, टूटा हुआ और बदलाव की बाट जोहता हुआ।

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