उल्हासनगर में जबरन धर्मांतरण का अड्डा? रहिवासियों ने किया जोरदार विरोध, प्रशासन और राजनीतिक दलों की चुप्पी पर उठे सवाल!







उल्हासनगर : नीतू विश्वकर्मा
उल्हासनगर-3 के सेक्शन-25 स्थित बंगला नंबर 105 में चल रहे एक कथित “प्रार्थना घर” को लेकर स्थानीय रहिवासियों में जबरदस्त आक्रोश है। क्षेत्र की नागरिक श्रीमती सीमा राम मिडियानी और अन्य रहिवासियों ने पवई विभाग के बीट इंचार्ज तथा माननीय डीसीपी को लिखित शिकायत सौंपते हुए इस स्थल को तत्काल बंद करने की मांग की है।
रहिवासियों का आरोप है कि इस प्रार्थना स्थल के नाम पर रात के समय तेज ध्वनि में वाद्ययंत्र बजाए जाते हैं, ज़ोर-ज़ोर से धार्मिक नारे लगाए जाते हैं और शांति प्रिय परिसर में सांप्रदायिक तनाव फैलाया जा रहा है। शिकायत में यह भी दावा किया गया है कि यहां खुलेआम ईसाई धर्म का प्रचार किया जा रहा है और हिंदू देवी-देवताओं के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणियाँ की जा रही हैं।
धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ और धर्मांतरण का आरोप
शिकायतकर्ताओं के अनुसार गरीब नागरिकों को पैसों और अन्य सुविधाओं का लालच देकर उनका धर्म परिवर्तन कराने का सुनियोजित प्रयास किया जा रहा है। रविवार सहित सप्ताह के कई दिन, रात 9 बजे से 11 बजे तक होने वाले इन कार्यक्रमों में ड्रम, ध्वनि यंत्र और जोरदार धार्मिक नारेबाजी के ज़रिए समाज में भय और असंतोष का माहौल बनाया जा रहा है।
श्रीमती सीमा मिडियानी ने कहा, “हमें यह बताया जाता है कि केवल यीशु ही सच्चा भगवान है और हमारे हिंदू धर्म को नीचा दिखाने की कोशिश की जा रही है। यह हमारी सामाजिक एकता और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए सीधा खतरा है।”
राजनीतिक दलों की चुप्पी पर सवाल — क्या वोट बैंक की सियासत हावी?
इससे पहले भी हिंदू सकल समाज द्वारा ऐसे ही एक धर्मांतरण कार्यक्रम का कड़ा विरोध किया गया था और उसे रद्द भी करवाया गया था। लेकिन दुखद पहलू यह है कि इस गंभीर मुद्दे पर अधिकतर राजनीतिक दल चुप्पी साधे बैठे हैं। केवल शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) के उपशहर प्रमुख दिलीप मिश्रा ही हैं, जिन्होंने पिछली बार सिंधु भवन में आयोजित कार्यक्रम का विरोध करते हुए उसे रद्द करवाने में भूमिका निभाई थी।
अब हालात यह हैं कि कुछ राजनैतिक तत्व इस तरह के गतिविधियों को खुलकर समर्थन दे रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है जैसे चुनावी राजनीति भी अब धर्मांतरण के वोटबैंक के प्रति नरम रुख अपना चुकी है। धर्म के नाम पर हो रही राजनीति ने अपने सिद्धांत ही बदल दिए हैं।
प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग
रहिवासियों ने स्पष्ट किया है कि उनकी किसी धर्म से व्यक्तिगत शत्रुता नहीं है, लेकिन अवैध रूप से धर्मांतरण की कोशिश और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के कार्य को किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा।
स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रार्थना घर को स्थायी रूप से बंद करने और इसके पीछे काम कर रहे तंत्र पर कानूनी कार्रवाई की पुरज़ोर मांग की है।
अब सवाल यह है — क्या प्रशासन और राजनीतिक दल इस गंभीर मसले पर जागेंगे या धर्मांतरण की यह आग किसी बड़े सांप्रदायिक टकराव का कारण बनेगी?