क्या प्रांत अधिकारी को गुमराह किया जा रहा है?
‘अल्टरनेट साइट सनद’ के नाम पर चल रहा है कोई बड़ा खेल?

उल्हासनगर :नीतू विश्वकर्मा
प्रशासनिक प्रक्रिया और भू-अधिकार प्रणाली पर एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है—क्या प्रांत अधिकारी को गुमराह कर किसी सुनियोजित ‘गेम’ को अंजाम दिया जा रहा है?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, एक ही व्यक्ति को बार-बार हज़ारों वर्गफुट की ‘अल्टरनेट साइट सनद’ (CD) कैसे जारी की जा रही है, यह गंभीर जांच का विषय बन गया है। सवाल उठ रहा है कि — आख़िर कौन है यह कानता गोविंद परमार, जिसे बार-बार इस तरह की सनदें जारी की जा रही हैं?
और सबसे बड़ा प्रश्न यह कि —
एक नाई की माँ के नाम पर इतनी बड़ी ज़मीनें कैसे दर्ज हो रही हैं?
बार-बार उनके दावे स्वीकार किए जा रहे हैं और उसी आधार पर उन्हें नई अल्टरनेट साइट की मंज़ूरी भी मिल रही है।
क्या इसके पीछे कोई प्रभावशाली भू-माफिया है?
या फिर यह ‘मनी पॉवर’ से चलाया जा रहा राजनीतिक और प्रशासनिक गठजोड़ का खेल है?
इस पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर संदेह उठने लगे हैं। क्या प्रशासन इस पर स्वयं संज्ञान लेगा या फिर कोई उच्चस्तरीय जांच की ज़रूरत है?
पूज्य धर्मवाड़ी व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष वाशु कुकरेजा ने इस संदर्भ में अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा:
> “यह मामला आम नागरिकों की संपत्ति अधिकार और प्रशासनिक ईमानदारी पर सीधा प्रहार है। अगर ऐसे मामले बिना रोक-टोक जारी रहे तो जनविश्वास पूरी तरह डगमगा जाएगा। हम मांग करते हैं कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और सच्चाई जनता के सामने लाई जाए।”