अंबरनाथ का अब तक का सबसे बड़ा हाउसिंग घोटाला: बिल्डर-बैंक-अफसरों की गठजोड़ ने किया जनता के भरोसे का कत्ल, क्या विधानसभा अधिवेशन में उठेगा यह मुद्दा?

अंबरनाथ — नीतू विश्वकर्मा
अंबरनाथ शहर एक ऐतिहासिक और बहुस्तरीय हाउसिंग घोटाले की गिरफ्त में है, जिसने आम जनता की गाढ़ी कमाई को निगल लिया है। यह घोटाला न सिर्फ रियल एस्टेट सेक्टर की गिरती साख का उदाहरण है, बल्कि बैंकिंग सिस्टम, नगर परिषद और सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत को भी उजागर करता है।
मोहन लाइफस्पेसेस एलएलपी द्वारा विकसित दो प्रमुख टाउनशिप प्रोजेक्ट — मोहन नैनो एस्टेट्स और मोहन सबर्बिया — अब एक सुनियोजित स्कैम के रूप में सामने आए हैं, जिसमें फर्जी दस्तावेज, भ्रष्ट अफसरों की भूमिका और बैंकों की लापरवाही जैसे तथ्य उजागर हुए हैं।
❗ नकली CC और OC के ज़रिये करोड़ों की ठगी: रियल एस्टेट में धोखे की नई मिसाल
इन प्रोजेक्ट्स को न तो वैध प्रारंभ प्रमाणपत्र (CC) मिला था, न ही उपयोग प्रमाणपत्र (OC)। फिर भी बिल्डरों ने प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिए, हजारों खरीदारों को फ्लैट बेच डाले और बैंकों से बिना वैध दस्तावेजों के करोड़ों रुपये के लोन मंजूर करा लिए।
🔍 मुख्य आरोपी: बिल्डर, आर्किटेक्ट, नगर परिषद और बैंक — हर स्तर पर भ्रष्टाचार
बिल्डर:
जीतेन्द्र मोहनदास लालचंदानी, प्रमोटर, मोहन लाइफस्पेसेस एलएलपी — फर्जी CC और OC तैयार कर प्रोजेक्ट को अवैध रूप से लॉन्च करने का आरोप।
वास्तुकार:
थोरट मैथ्यू एंड एसोसिएट्स पर इन फर्जी दस्तावेजों के निर्माण में भागीदारी का आरोप।
नगर परिषद अधिकारी:
भालचंद्र गोसावी, श्रीधर पाटेकर, देवदास पवार, प्रशांत रासल, विद्यसागर चव्हाण, प्रकाश मुले और विवेक गौतम — इन सभी पर आरोप है कि बिना वैधता जांचे दस्तावेजों को मंजूरी दी गई, जोकि सेवा शपथ का सीधा उल्लंघन है।
बैंक अधिकारी:
बिना सत्यापन के लोन स्वीकृति — यह महज लापरवाही नहीं बल्कि संभावित मिलीभगत का संकेत देता है।
🛑 रजिस्ट्रार और MahaRERA की खामोशी: लापरवाही या राजनीतिक दबाव?
हाउसिंग रजिस्ट्रार ने बिना वैध OC के सोसायटी पंजीकरण को मंजूरी दी, जो को-ऑपरेटिव सोसायटी एक्ट का स्पष्ट उल्लंघन है।
MahaRERA, जो एक रेगुलेटरी बॉडी है, ने भी दस्तावेजों की वैधता की जांच नहीं की, और पूरी प्रक्रिया में मूकदर्शक बनी रही।
❓ FIR दर्ज नहीं होना: क्या पुलिस और क्राइम ब्रांच पर भी है राजनीतिक दबाव?
हज़ारों होमबॉयर्स की शिकायतों के बावजूद, न तो अंबरनाथ पुलिस ने FIR दर्ज की, न ही ठाणे EOW और क्राइम ब्रांच ने कोई कार्रवाई की।
👉 यह प्रशासनिक निष्क्रियता या दबाव में काम करने की गंभीर स्थिति को दर्शाता है।
⚖️ कानूनी विशेषज्ञों की राय: “यह सिर्फ घोटाला नहीं, सिस्टम का पूरी तरह फेल हो जाना है”
विशेषज्ञों के अनुसार, सिर्फ बिल्डर को दोषी ठहराना पर्याप्त नहीं। इसमें बैंक, नगर परिषद, हाउसिंग रजिस्ट्रार और MahaRERA जैसे संस्थानों की भी संस्थागत जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
🏛️ क्या यह मुद्दा महाराष्ट्र विधानसभा के अधिवेशन में उठेगा?
यह सवाल अब गूंजने लगा है कि क्या अधिवेशन में विपक्ष या सत्ता पक्ष इस गंभीर घोटाले को उठाने का साहस करेगा?
👉 जनता जानना चाहती है कि क्या उनकी पीड़ा पर भी विधानसभा के गलियारों में आवाज़ उठेगी, या यह भी अन्य घोटालों की तरह दबा दिया जाएगा?
🔚 निष्कर्ष: अंबरनाथ हाउसिंग घोटाला — सिर्फ आर्थिक नहीं, नैतिक और संस्थागत पतन का प्रतीक
मोहन नैनो एस्टेट्स और मोहन सबर्बिया घोटाला यह दर्शाता है कि कैसे राजनीतिक संरक्षण, अफसरशाही की मिलीभगत और संस्थागत लापरवाही एक आम नागरिक के जीवन को बर्बाद कर सकती है।
🛑 यह केवल एक घोटाला नहीं, बल्कि लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ अपराध है।
📣 अब समय है — कठोर कार्रवाई, सार्वजनिक जवाबदेही और न्याय सुनिश्चित करने का।
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