मीटर से जनता परेशान, वादे बड़े लेकिन नतीजा शून्य! उल्हासनगर में “हवा” से भी दौड़ रहे पानी के मीटर, पारदर्शिता के नाम पर खुला धोखा?


उल्हासनगर : नीतू विश्वकर्मा
उल्हासनगर महानगरपालिका (UMC) द्वारा शहर भर में घर-घर पानी के मीटर लगाए जा रहे हैं। इस योजना को पारदर्शी जल आपूर्ति के नाम पर लागू किया जा रहा है, लेकिन हकीकत में यह व्यवस्था नागरिकों के लिए उलझन और आर्थिक बोझ का कारण बनती जा रही है।
मीटर “हवा” से भी चल रहा — जनता हैरान!
शहर के कई घरों में जहां मीटर पहले से लगाए जा चुके हैं, वहां रहने वाले नागरिकों का आरोप है कि मीटर तब भी रीडिंग दर्ज कर रहा है जब पाइपलाइन में सिर्फ हवा चल रही होती है।
“क्या अब हमें हवा का भी बिल भरना होगा?” — यह सवाल अब हर गली-मोहल्ले में गूंज रहा है।
लोगों का तर्क है कि जिस प्रकार बिजली का मीटर तब तक नहीं चलता जब तक सप्लाई न हो, वैसे ही पानी का मीटर भी बिना पानी के न चले। लेकिन उल्हासनगर में स्थिति इसके विपरीत है, जो जनता को भ्रमित और नाराज़ कर रही है।
जनता के चार तीखे सवाल — UMC जवाब देने से कतरा क्यों रही है?
1. क्या मीटर लगने के बाद शहर में 24 घंटे पानी मिलेगा?
वर्षों से उल्हासनगर में पानी की समयबद्ध और पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो रही है। क्या अब यह बदलेगा?
2. क्या पानी पीने योग्य होगा?
अब तक कई इलाकों में पीला, नीला, गंदा और बदबूदार पानी सप्लाई किया गया है। क्या गुणवत्ता में सुधार होगा?
3. क्या UMC पहले पानी की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करेगी?
मीटर लगाने से पहले क्या जनता को बताया जाएगा कि पानी कितना साफ है और वह स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है?
4. कितने का बिल आएगा और क्या यह आम आदमी की जेब पर बोझ बनेगा?
बिना तय दर, बिना स्पष्ट नीति — क्या मीटर के नाम पर जनता को लूटने का रास्ता खोला गया है?
विकास नहीं, धोखे की स्कीम?
UMC की यह मीटर योजना पारदर्शिता के बजाय जनता के साथ खुली ठगी के रूप में देखी जा रही है।
सामाजिक कार्यकर्ता और नागरिक संगठनों का कहना है:
“शहर के विकास के नाम पर जनता को मूर्ख बनाना बंद करो। पारदर्शिता के बिना कोई भी योजना भरोसेमंद नहीं हो सकती।”
UMC की जवाबदेही तय होना ज़रूरी है। जनता का कहना है कि यदि पानी साफ नहीं, 24 घंटे उपलब्ध नहीं और मीटर हवा से चलता रहा, तो यह योजना महज राजस्व वसूली का जरिया बनकर रह जाएगी।
अब सवाल ये नहीं कि मीटर लगेगा या नहीं, सवाल ये है कि क्या UMC जनता की चिंता को समझेगी या फिर उसे सिर्फ बिल भेजती रहेगी?
जनता पूछ रही है — क्या हमें सेवा मिली या सिर्फ धोखा?