उल्हासनगर की आयुक्त मनीषा आव्हाले पर ‘गिव-एंड-टेक’ का गंभीर आरोप — सेंचुरी रेयान से बंगला, 9 करोड़ की कर-राहत पर उठे सवाल?

उल्हासनगर: नीतू विश्वकर्मा
उल्हासनगर महानगरपालिका (यूएमसी) की वर्तमान आयुक्त मनीषा आव्हाले पर पद एवं प्रभाव का लाभ उठाने का आरोप लग रहा है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, आयुक्त को सेंचुरी रेयान कंपनी ने अपने आवासीय परिसर में एक विशेष बंगला आवंटित किया है, जबकि पूर्व आयुक्तों को केवल साधारण क्वार्टर उपलब्ध कराए जाते थे।
आरोप यह भी है कि उक्त बंगले की देख-रेख, साफ-सफाई, भोजन-पानी और दैनिक कामकाज के लिए महापालिका के 7–8 नियमित कर्मचारी तैनात हैं, जिनका वेतन जनता के करों से चुकाया जा रहा है। यह व्यवस्था नगर-निगम अधिनियम एवं सेवा नियमावली की साफ अवहेलना मानी जा रही है।
सूत्र दावा करते हैं कि सेंचुरी रेयान को हाल ही में यूएमसी से लगभग 9 करोड़ रुपये की संपत्ति कर राहत मिली है। इस कथित रियायत को ही बंगले की सुविधा से जोड़कर देखा जा रहा है और इसे “गिव-एंड-टेक की राजनीति” बताया जा रहा है।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और नागरिक समूहों ने आरोप लगाया है कि आयुक्त ने उद्योग समूह को फायदा पहुँचाने के बदले व्यक्तिगत सुविधाएँ स्वीकार की हैं, जबकि शहर में पानी-सड़क जैसी मूलभूत समस्याएँ अनदेखी हो रही हैं। सामाजिक संगठन स्वराज्य नगारिक मंच ने राज्य सरकार से तत्काल उच्च-स्तरीय जांच तथा “भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम” के तहत आपराधिक कार्रवाई की माँग की है।
उल्हासनगर के नागरिक अब राज्य के नगरविकास विभाग की ओर नजरें गड़ाए बैठे हैं। सवाल यह है कि क्या सत्ता-संपन्न अधिकारियों के लिए बने नियम आम जनता पर भी उतनी ही सख्ती से लागू होंगे, या फिर यह मामला भी फाइलों में दफ़्न हो जाएगा?