एडवोकेट सरिता खानचंदानी की संदिग्ध मौत: क्या झूठी FIR बनी मृत्यु का कारण? क्या मानसिक प्रताड़ना का शिकार हुईं? पुलिस स्टेशन से आते ही क्यों ली अपनी जान?

उल्हासनगर प्रतिनिधि : नीतू विश्वकर्मा
महाराष्ट्र के उल्हासनगर शहर में एक दर्दनाक घटना ने समाज को हिलाकर रख दिया है। प्रसिद्ध समाजसेविका और हिराली फाउंडेशन की अध्यक्ष एडवोकेट सरिता खानचंदानी (51) ने 28 अगस्त 2025 की सुबह विठ्ठलवाड़ी पुलिस स्टेशन के सामने रोमा अपार्टमेंट बिल्डिंग की सातवीं मंजिल से कूदकर कथित रूप से आत्महत्या कर ली। गंभीर रूप से घायल सरिता जी को पहले उल्हासनगर के सेंट्रल अस्पताल, फिर निजी अस्पतालों और अंत में डोंबिवली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस घटना ने पूरे शहर को स्तब्ध कर दिया है, लेकिन उनके पति एडवोकेट पुरुषोत्तम खानचंदानी ने इसे आत्महत्या नहीं, बल्कि सोची-समझी हत्या करार देते हुए पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि एक झूठी FIR, मानसिक प्रताड़ना और राजनीतिक साजिश ने सरिता जी को इस कदम पर मजबूर किया। पुलिस ने FIR दर्ज करने से पहले कोई जांच क्यों नहीं की? क्या यही FIR उनकी मृत्यु का प्रमुख कारण बनी? और पुलिस स्टेशन से निकलते ही उन्होंने अपनी जान क्यों ली—ये सवाल अब न्याय व्यवस्था पर भारी पड़ रहे हैं।
समाजसेवा की जुझारू योद्धा
एडवोकेट सरिता खानचंदानी एक बहादुर और नन्हीं महिला थीं, जिन्होंने उल्हासनगर में पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक न्याय के लिए वर्षों तक लड़ाई लड़ी। हिराली फाउंडेशन के माध्यम से उन्होंने ध्वनि प्रदूषण, वालधुनी नदी की सफाई, अवैध निर्माण और शौचालय हड़पने जैसे मुद्दों पर अदालतों में याचिकाएं दायर कीं। हाल ही में, राज्य मानवाधिकार आयोग (SHRC) ने उनकी एक याचिका पर उल्हासनगर नगर निगम को अवैध निर्माण हटाने के निर्देश दिए थे। सरिता जी स्थानीय नेता उल्हास फाळके, उनकी पत्नी, रितिक, रोहित और बोडारे जैसे व्यक्तियों के खिलाफ जलकुंभ में अनधिकृत कार्यक्रम, एट्रोसिटी केस, पंडाल और प्रदूषण से जुड़े मामलों में सक्रिय रहीं। पुरुषोत्तम खानचंदानी ने बताया कि सरिता जी को इन विरोधियों से लगातार धमकियां मिल रही थीं, जो उनकी मानसिक स्थिति को प्रभावित कर रही थीं।
झूठी FIR: क्या बनी मृत्यु का कारण?
घटना की पृष्ठभूमि में 27 अगस्त 2025 को जिया प्रदीप गोपलानी (33 वर्ष, केटरिंग व्यवसायी) द्वारा विठ्ठलवाड़ी पुलिस स्टेशन में दर्ज विवादास्पद FIR नंबर 590/2025 है। भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 115(2) (आपराधिक धमकी), 352 (मारपीट), 351(3) (आपराधिक धमकी) और 333 (चोट पहुंचाना) के तहत जिया ने आरोप लगाया कि सरिता जी ने उनके घर (रोमा बिल्डिंग के पास पानी की टंकी के सामने, उल्हासनगर-4) में जबरन घुसकर गाली-गलौज की, मारपीट की, मोबाइल फोन तोड़ा और भगवान श्रीकृष्ण की पितल की मूर्ति को फेंककर धार्मिक भावनाओं को आहत किया। कथित घटना दोपहर 4:30 बजे और रात 11:30 बजे हुई, जबकि FIR 28 अगस्त को दोपहर 12:49 बजे दर्ज हुई। जिया ने सरिता जी का पता शारदा कासल, रूम नंबर 202 बी विंग, उल्हासनगर-4 बताया। जांच अधिकारी चंद्रहार गोडसे, पुलिस निरीक्षक (गुन्हे) हैं, और आरोपी की अभी गिरफ्तारी नहीं हुई है।
हालांकि, पुरुषोत्तम खानचंदानी ने इस FIR को पूरी तरह झूठा और साजिशपूर्ण बताया। उनके अनुसार, सरिता जी पिछले छह वर्षों से जिया गोपलानी के पति प्रदीप गोपलानी के खिलाफ घरेलू हिंसा के केस में उनकी पैरवी कर रही थीं। पिछले 18 महीनों से जिया को सरिता जी ने अपने कार्यालय के पीछे छोटे से घर में शरण दी थी और उनका घरखर्च भी संभाल रही थीं। हाल ही में जिया के पक्ष में अदालत से आदेश मिलने के बाद सरिता जी ने उनसे कमरा खाली करने को कहा, जिससे 27 अगस्त की रात विवाद हुआ। पुरुषोत्तम जी का आरोप है कि जिया ने सरिता जी के राजनीतिक विरोधियों—उल्हास फाळके, उनकी पत्नी और अन्य—के साथ मिलकर बदनामी की साजिश रची और झूठी शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा, “यह FIR सरिता की मानसिक प्रताड़ना का प्रमुख कारण बनी। क्या यही उनकी मृत्यु का कारण थी? पुलिस ने बिना जांच के इसे दर्ज क्यों किया?”
लीक वीडियो: मानसिक प्रताड़ना का सबूत?
सबसे चौंकाने वाला खुलासा एक लीक वीडियो से हुआ है, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में जिया गोपलानी सरिता खानचंदानी को तंग करती, प्रताड़ित करती और उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाती नजर आ रही हैं। सरिता जी के परिवार का दावा है कि यह वीडियो FIR के झूठे आरोपों को उजागर करता है और साबित करता है कि वास्तव में जिया ही सरिता जी को मानसिक रूप से तड़पा रही थीं। पुरुषोत्तम जी ने नम आंखों से कहा, “सरिता को लंबे समय से मानसिक यातनाएं दी जा रही थीं। यह वीडियो इसका प्रमाण है। फिर भी, पुलिस ने FIR दर्ज करने से पहले कोई प्रारंभिक जांच या वीडियो की पड़ताल क्यों नहीं की?” परिवार का कहना है कि सरिता जी पहले से ही विरोधियों के दबाव में तनावग्रस्त थीं, और यह FIR ने उन्हें तोड़ दिया।
पुलिस स्टेशन से आते ही छलांग: क्या छिपा है रहस्य?
28 अगस्त की सुबह सरिता जी को विठ्ठलवाड़ी पुलिस स्टेशन में FIR के सिलसिले में बुलाया गया। परिवारजनों को नहीं पता कि स्टेशन में क्या हुआ, लेकिन स्टेशन से निकलते ही उन्होंने सामने की रोमा अपार्टमेंट से छलांग लगा ली। पुरुषोत्तम जी ने बताया, “शाम 7 बजे हमने पुलिस को जिम्मेदार लोगों—उल्हास फाळके और अन्य—के नाम बता दिए थे, लेकिन डीसीपी ने दावा किया कि मेरी ओर से कोई शिकायत नहीं की गई। यह गलत है। स्थानीय पुलिस पर भरोसा नहीं रहा। मेरे अनुसार, यह आत्महत्या नहीं, बल्कि सुनियोजित हत्या है।” उनकी बेटी स्पर्श खानचंदानी ने चेतावनी दी, “हमें कुछ हुआ तो ये संबंधित लोग जिम्मेदार होंगे।”
विठ्ठलवाड़ी पुलिस ने दुर्घटना मृत्यु रिपोर्ट (ADR) दर्ज कर जांच शुरू की है, लेकिन परिवार का आरोप है कि पुलिस की लापरवाही और राजनीतिक दबाव ने सरिता जी को मानसिक रूप से तोड़ दिया। पुरुषोत्तम जी ने पुलिस प्रशासन से उल्हास फाळके और अन्य के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
न्याय की मांग: उच्च स्तरीय जांच जरूरी
यह घटना पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ी करती है। FIR दर्ज करने से पहले लीक वीडियो या अन्य साक्ष्यों की जांच क्यों नहीं हुई? क्या राजनीतिक दबाव ने न्याय को प्रभावित किया? सरिता जी जैसे समाजसेवकों को मानसिक प्रताड़ना से बचाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? परिवार ने इस मामले को उच्च न्यायालय तक ले जाने का फैसला किया है। उल्हासनगर पुलिस ने अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की, लेकिन यह मामला अब सामाजिक और राजनीतिक विवाद का केंद्र बन चुका है। सरिता जी की मौत ने न केवल एक योद्धा को खोया, बल्कि न्याय व्यवस्था की कमजोरियों को भी उजागर किया है। उच्च स्तरीय जांच से ही सच्चाई सामने आ सकेगी।