मुस्लिम समाज को कब्रिस्तान की मंजूरी की मांग को लेकर उल्हासनगर के पदाधिकारी आजाद मैदान में भूख हड़ताल पर बैठे



उल्हासनगर प्रतिनिधि : नीतू विश्वकर्मा
मुंबई/उल्हासनगर – महाराष्ट्र पूरोगामी मुस्लिम समाज संघटना, उल्हासनगर की ओर से मुस्लिम समाज को आरक्षित एवं घोषित भूमि पर दफनविधि की मंजूरी दिलाने की मांग को लेकर आज दिनांक 25 सितंबर से मुंबई के आजाद मैदान में भूख हड़ताल की शुरुआत की गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, उल्हासनगर शहर में मुस्लिम समाज को 70 वर्षों बाद पहला कब्रिस्तान भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल में तत्कालीन महापौर श्रीमती मीना कुमार आयलानी के प्रयासों से उपलब्ध कराया गया था। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1974 से स्वीकृत विकास आराखड़े (डेवलपमेंट प्लान) में मुस्लिम दफनभूमि हेतु चार भूखंड आरक्षित हैं। लेकिन अब तक केवल एक ही भूखंड पर दफनविधि की अनुमति मिली है, वह भी भाजपा शासनकाल में।
कैलाश कॉलोनी स्थित एक अन्य आरक्षित भूमि को वर्ष 2019 में भाजपा कार्यकाल में मुस्लिम दफनभूमि घोषित किया गया था, किंतु सत्ता परिवर्तन और महानगरपालिका के बर्खास्त होने के बाद इस भूखंड पर दफनविधि की मंजूरी आज तक नहीं दी गई। आरोप है कि अब इस भूमि पर भूमाफियाओं की नजर है। इसे हड़पने के लिए कथित तौर पर स्थानीय राजनेताओं और नगर पालिका के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से कभी बस डिपो, कभी गणेश घाट, कभी अनधिकृत झोपड़पट्टी एवं दुकानें, तो कभी मोबाइल टावर निर्माण जैसी योजनाएं आगे बढ़ाई जाती हैं।
उल्हासनगर-5 की कैलाश कॉलोनी में हिन्दू श्मशान भूमि और ईसाई दफनभूमि के समीप स्थित यह मुस्लिम दफनभूमि की जमीन 1974 से आरक्षित और 2019 से घोषित है। आज इसकी कीमत सैकड़ों करोड़ रुपये बताई जाती है, जिसके चलते भूमाफियाओं का दबाव लगातार बढ़ रहा है।
इसी मुद्दे पर महाराष्ट्र पूरोगामी मुस्लिम समाज संघटना, उल्हासनगर के पदाधिकारी अब्दुल गफ्फार शेख, अनिल सिन्हा और अन्य कार्यकर्ता भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उनकी मांग है कि पिछले तीन वर्षों से अभिप्राय हेतु लंबित फाइल पर तत्काल निर्णय लिया जाए और दफनविधि की मंजूरी का प्रस्ताव उल्हासनगर महानगरपालिका आयुक्त को भेजा जाए।
👉 यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक मुस्लिम समाज को उनका संवैधानिक हक – आरक्षित भूमि पर दफनविधि की अनुमति – नहीं मिल जाती।



