उल्हासनगर में गौमांस परिवहन प्रकरण: साक्ष्य नष्ट कर आरोपियों को बचाने की साज़िश!

उल्हासनगर प्रतिनिधि : नीतू विश्वकर्मा
DCP Zone-4 और सेंट्रल पुलिस चौकी पर निष्क्रियता का गंभीर आरोप — न्याय में देरी, आरोपी आज़ाद घूम रहे हैं!
उल्हासनगर/ठाणे – एक बेहद गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता और संदिग्ध भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, ऑटो रिक्शा क्रमांक MH05/DL/0132 में गौमांस (गाय का मांस) परिवहन करते हुए पकड़ा गया था। यह कार्रवाई सेंट्रल पुलिस चौकी, ठाणे की टीम द्वारा की गई थी।
मामले की गंभीरता तब और बढ़ गई जब यह सामने आया कि उक्त वाहन को प्रारंभ में पुलिस द्वारा जब्त करने के बाद, एक पुलिस संरक्षक (मध्यस्थ) के हस्तक्षेप से कुछ ही समय बाद छोड़ दिया गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, लगभग एक घंटे बाद वही वाहन पुनः दिखाई दिया, जिसमें पाया गया कि पकड़ा गया गौमांस आधा गायब या नष्ट कर दिया गया था। इससे यह स्पष्ट होता है कि साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ (Tampering of Evidence) की गई, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 201 के अंतर्गत गंभीर आपराधिक कृत्य है।
इस घटना से न केवल महाराष्ट्र गौवंश संरक्षण अधिनियम का खुला उल्लंघन हुआ है, बल्कि पुलिस तंत्र की निष्पक्षता पर भी प्रश्नचिह्न लग गया है।
⚖️ न्याय में देरी — DCP Zone-4 की चुप्पी पर उठे सवाल
स्थानीय नागरिकों और गौसेवा संगठनों ने आरोप लगाया है कि DCP Zone-4 कार्यालय ने अब तक इस प्रकरण में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
सूत्रों का कहना है कि शिकायत दिए जाने के बावजूद,
न तो सेंट्रल पुलिस चौकी का CCTV फुटेज सुरक्षित किया गया,
न ही जब्ती रजिस्टर की जांच प्रारंभ हुई,
और न ही संरक्षक के हस्तक्षेप की भूमिका की जांच की गई।
इस पूरे मामले में यह आशंका प्रबल है कि प्रभावशाली व्यक्तियों के दबाव में पुलिस साक्ष्य मिटाने और आरोपियों को बचाने में जुटी है।
📢 जनता की मांग
नागरिकों ने मांग की है कि —
1. इस प्रकरण की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच उच्च स्तर पर कराई जाए।
2. संबंधित पुलिस अधिकारी एवं मध्यस्थ पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
3. DCP Zone-4 कार्यालय द्वारा देरी के कारणों की जांच की जाए।
4. CCTV फुटेज, जब्ती रजिस्टर और वाहन की पुनर्परीक्षा तत्काल कराई जाए।
🚨 प्रशासन की साख पर सवाल
यह घटना केवल एक पुलिस चौकी की लापरवाही नहीं, बल्कि पूरे ठाणे पुलिस प्रशासन की विश्वसनीयता और जवाबदेही पर गहरी चोट है।
गौमाता की सुरक्षा और कानून के सम्मान के मुद्दे पर पुलिस की ऐसी चुप्पी, समाज में अविश्वास का वातावरण पैदा कर रही है।



