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उल्हास नदी में म्हारल, वरप में भारी मात्रा में फैली जलकुंभी-जलपर्णी.

 

उल्हासनगर : नीतू विश्वकर्मा 

जल कुंभी जिसे मराठी में जलपर्णी कहते है,पानी में तैरने वाला एक प्रकार का पौधा है जो मूलत: अमेज़न का है लेकिन अब पूरे विश्व में फैल गया है, यह पौधा रुके हुए जल मे सर्वाधिक वृध्दि करता है जो जल से ऑक्सीजन खीच लेता है जिसके परिणाम स्वरूप मछलियां मर जाती हैं, यह एक बहुत तेजी से फैलने वाला खरपतवार है, यह जैव विविधता ह्रास का भी एक कारण हैं जो अनेक जलीय प्रजातियो को अपनी उपस्थिति के कारण नष्ट कर देता हैं, यह कायिक प्रवर्धन तीव्र गति से होता है जो अल्प समय मैं ही सम्पूर्ण जलाशय मे फ़ैल जाता है और उसे ढक् देता है इससे छुटकारा पाना बहौत कठिन है लकिन यह इस मायने मे उपयोगी है कि औद्धोगिक बहिस्त्राव द्वारा किए जाने वाले जल प्रदुषण को रोकने मे प्रभावी होता है,

ऐसा ही जलकुंभी या जलपर्णी उल्हास नदी में इस समय भारी मात्रा में देखने मिल रहे है।

कुछ पर्यावरण विदों का ये कहना है कि, नदी में भारी मात्रा में जलकुंभी पौधा उगने के कारण नदी का जलस्तर घटता है इसलिए तुरन्त ही जलपर्णी को नदी से निकाला जाए।







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