भारतीय रेल की 172वीं वर्षगांठ पर काकोळे गांव में लगा “द ग्रेट इंडियन पेनिनसुलर रेलवे डैम” का बोर्ड — वालधुनी नदी के ऐतिहासिक योगदान को मिली नई पहचान।





अंबरनाथ/ठाणे: नीतू विश्वकर्मा
आज, 16 अप्रैल 2025 को भारतीय रेलवे अपनी 172वीं वर्षगांठ मना रही है। इसी उपलक्ष्य में एक ऐतिहासिक क्षण सामने आया है — वालधुनी नदी के उगम स्थल, अंबरनाथ के काकोळे गांव में स्थित प्राचीन ग्रेट इंडियन पेनिनसुलर रेलवे डैम (GIPR डैम) पर पहली बार एक आधिकारिक पहचान बोर्ड स्थापित किया गया है।
यह वही स्थल है जहाँ से 172 वर्ष पूर्व, भारत में चली पहली रेलगाड़ी के तीन भाप इंजन — साहिब, सिंध और सुल्तान — को पानी की आपूर्ति की जाती थी।
यह ऐतिहासिक डैम वालधुनी नदी के माध्यम से इंजनों तक पानी पहुँचाने का कार्य करता था, और यही नदी उस समय भारतीय रेलवे की धड़कन बनी हुई थी।
भारतीय रेलवे की शुरुआत अंग्रेजी शासन के दौरान 16 अप्रैल 1853 को हुई थी, जब पहली यात्री ट्रेन मुंबई (बोरीबंदर) से ठाणे के बीच चलाई गई थी। यह ट्रेन 34 किलोमीटर का सफर तय करते हुए भारतीय रेल के स्वर्णिम इतिहास की नींव बनी। उस ट्रेन में लगभग 400 यात्री सवार थे और इसका संचालन ग्रेट इंडियन पेनिनसुलर रेलवे (GIPR) द्वारा किया गया था।
इतिहास के इस सुनहरे अध्याय में वालधुनी नदी और काकोळे स्थित डैम की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है, जिसे अब तक अनदेखा किया जाता रहा। लेकिन आज, 172 वर्षों बाद, इस स्थान को उसका उचित गौरव दिलाते हुए वहाँ पर एक स्मारक सूचना बोर्ड स्थापित किया गया है।
यह पहल न केवल इतिहास के प्रति सम्मान दर्शाती है, बल्कि स्थानीय लोगों और आने वाली पीढ़ियों को इस गौरवशाली योगदान की याद दिलाने का कार्य भी करेगी।
अब समय है कि हम आधुनिकता के साथ अपने ऐतिहासिक मूल्यों और प्राकृतिक संसाधनों को भी समान रूप से सम्मान दें।