उल्हासनगर डंपिंग ग्राउंड का मुद्दा अब भी अनसुलझा: याचिका, जुर्माना, जनआंदोलन के बावजूद प्रशासन मौन क्यों?

उल्हासनगर प्रतिनिधि: नीतू विश्वकर्मा
उल्हासनगर के कैंप नं. 5 क्षेत्र में स्थित डंपिंग ग्राउंड का मुद्दा अब विकराल रूप ले चुका है। सात वर्षों से अधिक समय से स्थानीय नागरिक, व्यापारी संघ और सामाजिक कार्यकर्ता इस अस्थायी कचरा स्थल को हटाने की मांग कर रहे हैं। बावजूद इसके, प्रशासनिक स्तर पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
मुख्य बिंदु:
स्वास्थ्य और पर्यावरण पर संकट:
डंपिंग ग्राउंड के कारण आसपास के निवासियों को सांस संबंधी बीमारियां, जलप्रदूषण और दुर्गंध जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
विरोध और याचिकाएं:
स्थानीय संगठनों द्वारा कई बार आंदोलन, बंद और भूख हड़तालें की गईं। इसके अतिरिक्त, उच्च न्यायालय में याचिका भी दायर की गई है, जिसमें प्रशासन की निष्क्रियता पर प्रश्न उठाए गए हैं।
₹148 करोड़ की स्वीकृत परियोजना अधर में:
महाराष्ट्र सरकार द्वारा दिसंबर 2022 में वालिवली (बदलापुर) में एकीकृत ठोस कचरा प्रबंधन परियोजना को स्वीकृति दी गई थी, जिसकी अनुमानित लागत ₹148 करोड़ है। इसे दिसंबर 2025 तक पूर्ण किया जाना है, परंतु अभी तक ज़मीन पर कोई ठोस कार्यवाही दिखाई नहीं दे रही।
जुर्माना और कार्रवाई के बावजूद निष्क्रियता:
स्थानीय नगर निगम ने अनधिकृत निर्माणों पर कार्रवाई करते हुए जुर्माने और तोड़फोड़ की कार्यवाही की है, फिर भी डंपिंग ग्राउंड अब भी यथावत है।
प्रशासन से सवाल:
1. जब परियोजना को स्वीकृति मिल चुकी है तो ज़मीन पर कार्य क्यों नहीं हो रहा?
2. याचिका और जनआंदोलनों को नजरअंदाज़ करना क्या लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन नहीं है?
3. क्या नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ यह लापरवाही उचित है?
निवेदन:
यह विषय अब केवल एक स्थानीय समस्या नहीं रहा, बल्कि यह एक मानवीय और संवैधानिक संकट बन चुका है। संबंधित राज्य और स्थानीय प्रशासन से निवेदन है कि तत्काल हस्तक्षेप कर कार्यवाही सुनिश्चित करें, अन्यथा जनाक्रोश और न्यायिक हस्तक्षेप अपरिहार्य हो सकता है।