बड़ा सवाल: TDR 14 की बिक्री से जुड़े निर्माण कार्यों पर आखिर किसका टीडीआर लागू?

उल्हासनगर प्रतिनिधि : नीतू विश्वकर्मा
उल्हासनगर शहर में टीडीआर (Transferable Development Rights) से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है। मा. आयुक्त ने लिखित में यह स्पष्ट किया था कि टीडीआर क्रमांक 14 बेचा ही नहीं गया है। लेकिन वास्तविकता इसके उलट दिखाई दे रही है। प्राप्त आधिकारिक अभिलेखों और जानकारी के अनुसार टीडीआर क्र. 14 से कुल 7 दस्त बेचे गए थे। बाद में जब यह टीडीआर फर्जी और विवादित पाया गया तो संबंधित धारक ने कानूनी शिकंजे से बचने के लिए बिक्री रद्द भी कर दी।
अब बड़ा प्रश्न यह उठता है कि –
👉 टीडीआर 14 से जिन निर्माण कार्यों की बिक्री हुई, उसके रद्द होने के बाद आखिर किसका टीडीआर लागू माना जाएगा?
👉 क्या आयुक्त इन निर्माण कार्यों की जांच कर कार्रवाई करेंगे?
👉 और सबसे अहम – अगर वास्तव में टीडीआर की बिक्री हुई थी, तो फिर आईएएस आयुक्त ने किसके दबाव में लिखित में यह कहा कि टीडीआर की बिक्री दर्ज ही नहीं हुई?
आरटीआई से खुलासा – 19 दस्तों का रिकॉर्ड
- आरटीआई (माहितीचा अधिकार अधिनियम 2005) के तहत प्राप्त आधिकारिक जवाब में यह सामने आया कि:
टीडीआर प्रमाणपत्र क्र. 17 व 14 से संबंधित कुल 12 दस्त दर्ज पाए गए हैं।
इसके अलावा टीडीआर क्र. 14 से 7 दस्तों की नोंदणी भी दर्ज हुई है।
इस प्रकार कुल 19 दस्तों का रजिस्ट्रेशन दर्ज है।
इन दस्तों के नोंदणी क्रमांक में 3766/25, 3767/25, 3768/25, 3781/25, 4247/25, 4365/25 और 4369/25 शामिल हैं।
अधिकारियों ने यह भी स्वीकार किया है कि कुछ दस्तों की विक्री बाद में रद्द कर दी गई है।
नागरिकों के मन में गहरे सवाल
इस पूरे प्रकरण ने उल्हासनगर के नागरिकों के मन में कई संदेह खड़े कर दिए हैं –
जब बिक्री दर्ज है तो आयुक्त का बयान गलत क्यों?
फर्जी टीडीआर से निर्माण कार्यों को मान्यता कैसे दी गई?
क्या बड़े बिल्डरों या राजनीतिक दबाव के चलते आयुक्त ने यह लिखित जवाब दिया?
पारदर्शिता की मांग
शहर के नागरिक संगठनों का कहना है कि यदि इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो यह एक बड़े घोटाले का रूप ले सकता है।
वे मांग कर रहे हैं कि –
1. सभी विवादित निर्माणों की जांच की जाए।
2. जिम्मेदार अधिकारियों व धारकों पर कार्रवाई हो।
3. जनता के सामने पूरी टीडीआर बिक्री और रद्द होने का रिकॉर्ड रखा जाए।
👉 यह मामला अब उल्हासनगर में टीडीआर घोटाले के रूप में चर्चाओं में है और नागरिकों की निगाहें पूरी तरह से आयुक्त पर टिक गई हैं कि वे आगे क्या कदम उठाते हैं।



