उल्हासनगर महानगर पालिका ठेकेदार प्रेम झा पर मेहरबान।
उल्हासनगर: नीतू विश्वकर्मा
आखिर हमारी उल्हासनगर महानगर पालिका ठेकेदार प्रेम झा के ऊपर इतनी मेहरबान क्यों है? यह वही प्रेम झा है जिसने उल्हासनगर महानगर पालिका करोड़ों का चूना काम के बहाने लगा ने के बावजूद भी। अब उल्हासनगर महानगर पालिका द्वारा पीने के पानी के लाइनें में दुसरुस्ती का ठेका ८८ करोड़ रूपए में देने की तयारी कर रही है और सबसे बड़े मजे की बात तो यह है की यही ठेका कुछ महीने पूर्व २५ करोड़ का था जिसका विरोध उल्हासनगर के कई सामाजिक संगठनों व विधायक कुमार ऐलानी और विधायक गणपत सेठ गायकवाड द्वारा किया गया था। जिसके चलते उस समय वह ठेका रद कर दिया गया था, परंतु अब फिर से उल्हासनगर महानगर पालिका के आयुक्त से सांठ गांठ कर फिर प्रेम झा ने उसी ठेके को ८८ करोड़ रूपए में पाने के प्रयासों में जुड गए है। “अब सवाल यह उठता है की आखिर इस ठेके को दिलाने की पीछे कौनसे बड़े नेताओं और अधिकारियों का हाथ है?” आखिर छोटे छोटे ठेकेदारों के पेट पर लात मारकर इतना बड़ा ठेका एक ही ठेकेदार को देने का क्या मतलब? इस से छोटे छोटे ठेकेदारों की तो रोजी रोटी बंद हो जाएगी। इन सब बातों को देखे तो ऐसा लगता है की यह ठेका प्रेम झा और उल्हासनगर महानगर पालिका की तय की गई एक गेम तो नही। मानो तो प्रेम झा टेंडर लेनेवाला बादशाह बन चुका है उल्हासनगर महानगर पालिका का। आज दि: २६ दिसंबर २०२२ के दिन सुबुह से उल्हानगर महानगर पालिका की बाहर १५० से जायदा छोटे छोटे ठेकेदारों द्वारा उपोषण भी शुरू हो गया है। आखिर उल्हासनगर में कब रुकेगा घोटालों का टेंडर।
ज्ञात हो की इस ठेके के पूर्व भी
दलित वस्ती निधि का ठेका भी प्रेम झा को मिला था,जिसमें कई विभिन्न विभिन्न जगहों पर विकास कार्य होने थे? परंतु ठेकेदार प्रेम झा द्वारा काम न करते हुए करोड़ों डकार गए जिसपर उलहानगर महानगर पालिका के आयुक्त अबतक खामोश है इसके बावजूद ८८ करोड़ों का ठेका एक ही ठेकेदार यह बाकी ठेकेदारों के साथ अनन्य भी है और बड़े ठेकेदार का भ्रष्टाचार भी। उल्हासनगर स्टेशन पर पुल बांधने का काम भी प्रेम झा ठेकेदार द्वारा आधे में लटका हुआ है ऐसे में फिर उसी भ्रष्ट ठेकेदार को ठेका देना मतलब अपने पैर पर खुद खुलहड़ी मरने का काम हमारी उल्हासनगर महानगर पालिका कर रही है।
शौर्य टाइम्स इस ८८ करोड़ के ठेके का विरोध करती है और उल्हासनगर महानगर पालिका को अपील करती है जल्द से जल्द इस ठेके को रद किया जाए और दलित वस्ती निधि मे हुए कार्यों की थर्ड पार्टी ऑडिट करवाई जाए।