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आखिर नाला गया कहां,फिर डूबेगा शहाड।
उल्हासनगर : नीतू विश्वकर्मा
एक तरफ 20 फ़ीट के नाले को 2 फीट का बना दिया जाये, और दुसरी तरफ के अम्बिकानगर नाले पर स्लैब डालकर पार्किंग बनाकर दुकानें बना दी जाये तब बाढ़ तो आनी ही है,शहाड परिसर पुर्व और पश्चिम में जलभराव होना ही है, उल्हासनगर शहाड स्थित हरमन मोहता कम्पनी के पास से गुजरने वाले नाले की दिशा बदलने का कार्य करने वाले विकासक के ऊपर कार्रवाई हो, नाले की दिशा ना बदली जाए ऐसी मांगे होती रही,उल्हासनगर शहाड स्थित प्लॉट नम्बर 6/7/8 सिटीएस क्रमांक 1618-1619 A और 1625-1627 A, पर अनुप हॉस्पिटैलिटी कम्पनी द्वारा निर्माण शुरू है, निर्माण के बीच आनेवाले नैसर्गिक नाले का मुंह मोड़ने का कार्य उक्त विकासक द्वारा किया गया है, तत्कालीन आयुक्त अच्युत डांगे द्वारा सेवानिवृत्त होने के पहले निर्माण का नक्शा पास करके मंजुरी दी गयी थी, विधायक और पीआरपी मुखिया श्री जोगेंद्र कवाडे जी द्वारा लक्षवेधी सूचना द्वारा ध्यानाकर्षण करते हुये मांग की थी कि, नैसर्गिक प्रवाह का रुख ना मोड़ा जाए, नाला मोड़कर बनाये निर्माणो को ध्वस्त किया जाये, और प्लान पास करवाने में जो भी अधिकारी कर्मचारी दोषी है, उनकी जांच करके उन्हें तुरंत निलंबित किया जाये।
उल्हासनगर में इमारतों के बीच आने वाले एक और 20 फिट चौड़ा प्राकृतिक नाला का मुंह मोड़कर उस पर स्लैब डालकर 2 फीट का बनाये जाने की वजह से स्थानीय नगरसेवक श्री राजेन्द्रसिंह भुल्लर महाराज ने बरसात के समय बाढ़ आने से आसपास के हज़ारों घरों के डूबने की आशंका सालों पहले जताई थी।पैराडाइन ग्रुप द्वारा शहाड स्टेशन पुर्व में उल्हासनगर कैम्प 1 में बन रही 35 मंज़िला साई वर्ल्ड लिजेंड इमारत संकुल से जा रहे 20 फ़ीट चौड़े विशाल प्राकृतिक नाले को डाइवर्ट करके उसपर स्लैब डाला गया और नाले को छोटा बनाया गया ताकि निर्माण में बाधा उतपन्न ना हों।
विकासक द्वारा वालधुनी नदी में जा मिलने वाले 20 फुट चौड़े प्राकृतिक नाले को मिट्टी डाल कर पाट दिया गया, और उसपर बहुमंजिला इमारत का निर्माण कार्य शुरू है, ऐसी शिकायत नगरसेवक राजेेंद्र सिंह भुल्लर महाराज द्वारा की गई थी।
उल्हासनगर महानगर पालिका अंतर्गत प्रभाग क्रमांक 3 में हरमन मोहता नामक लोहे के छड़, गर्डर इत्यादि बनाने की कंपनी थी, इस जगह में एक 20 फुट चौड़ा प्राकृतिक नाला था। नाले के अस्तित्व में होने का रिकॉर्ड उमनपा के स्वच्छता विभाग में दर्ज है। हर वर्ष बरसात से पहले नाले को पोकलैन मशीन से साफ किया जाता था, परंतु इस स्थान पर महानगर पालिका की अनुमति लिए बिना पैराडाइन ग्रुप के विकासक द्वारा प्राकृतिक रुप से बहनेवाले नाले को मिट्टी डाल कर पाट दिया गया और बहुमंजिला इमारत खड़ी कर दी गई। इतना ही नहीं उक्त जगह में बदलाव करके एक छोटे नाले का निर्माण किया गया, जिससे Cbse जगह का गंदा पानी निकल नहीं पाता और झोपड़पट्टी में रह रहे लोगों के घरों में रिसाव हो रहा है।
दुसरी तरफ उल्हासनगर शहाड स्टेशन के सामने चंदर बबलानी नाम के व्यक्ति ने चेतन पार्किंग नामक व्यवसाय शुरू करने के लिए फाटक राजीव गांधी नगर की नहर में प्लाट भरकर नाले को बंद कर दिया और इसके कारण रेलवे पुल के नीचे नदी में बहने वाला पानी अवरुद्ध हो गया और नहर बंद हो गई। बड़ी नहर में और अंबिकानगर आवासीय परिसर से होते हुए सीवेज का पानी नहर में बड़ी मात्रा में प्रवाहित होने लगा, जिससे पिछले कई वर्षों से हर साल नदी और नहर में बाढ़ के कारण हजारों लोगों की जान चली जाती है।
शहाड पुर्व के साथ साथ पश्चिम में घोलपनगर, योगीधाम, मार्बलनगर, नव अंबिकानगर, शहाड गांव के इलाकों में पानी से लाखों का नुकसान हो रहा है। उक्त नाले को खोलने के लिए 1993 से स्थानीय यूएमपी नगरसेवक श्री राजेंद्रसिंह भुल्लर, नाथू सोनावणे और स्थानीय नागरिक रहमत शेख ने मामला उठाया था। शासन प्रशासन और न्यायालय को नाली खोलने के लिए तृतीय सिविल न्यायालय द्वारा आदेश पारित किया गया था लेकिन उपाय के अभाव में 25 वर्षों से स्थानीय नागरिकों को परेशानी हो रही है, उल्हासनगर का यह नाला जो पिछले काफी समय से बंद पड़ा हुआ है। जिस कारण शहाद क्षेत्र में कई वर्षों से बाढ़ आ रही है।