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होलिका दहन के बाद नशे की आग! उल्हासनगर व आस पास शहरों में ‘रंग दे’ जैसे आयोजनों में नशे और शराब का खेल, युवा पीढ़ी खतरे में।

उल्हासनगर: नीतू विश्वकर्मा

होली का त्योहार रंगों, खुशियों और अपनेपन का प्रतीक है। इस दिन लोग पुराने गिले-शिकवे मिटाकर एक-दूसरे से गले मिलते हैं और खुशियां साझा करते हैं। लेकिन हाल के वर्षों में, खासकर उल्हासनगर और आसपास के इलाकों में, होली और अन्य त्योहारों के दौरान नशे और अवैध गतिविधियों का चलन बढ़ता जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार, होली के दिन 14 मार्च को उल्हासनगर के म्हारल गांव स्थित मोहन ग्रीन मेडोज़ में एक हाई-प्रोफाइल पार्टी का आयोजन किया गया है, जहां धड़ल्ले से शराब परोसी जाएगी और नशे के पदार्थों का सेवन किया जाएगा । यह पार्टी एक ऐसे व्यक्ति द्वारा आयोजित की गई थी, जो पहले से ही सोने की तस्करी और थाने क्राइम ब्रांच में नशे के मामलों को लेकर जांच के दायरे में है।

गैरकानूनी आयोजनों में कानून की धज्जियां

शहर में कुछ धनाढ्य परिवारों के युवा बिना किसी सामाजिक जिम्मेदारी के, महंगे गार्डन और बैंक्वेट हॉल बुक कर लाखों की शराब परोसते हैं। इन आयोजनों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित ध्वनि प्रदूषण के नियमों की खुलेआम अवहेलना होती है। साथ ही, बिना उम्र की जांच किए युवाओं को 1,000-1,500 रुपये की एंट्री फीस लेकर शराब और अन्य नशीले पदार्थ दिए जाते हैं।

पार्टी आयोजकों द्वारा आबकारी विभाग को गुमराह कर 100 लोगों की अनुमति ली जाती है, लेकिन असल में वहां हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं। इनमें से कई बार बाहर के राज्यों—जैसे दमन, दिल्ली और हरियाणा—से सस्ती और अवैध शराब मंगाई जाती है।

क्या हमारे परिवार इन आयोजनों में सुरक्षित हैं?

इस तरह की पार्टियों में हुक्का और अन्य नशीले पदार्थों का भी जमकर इस्तेमाल किया जाता है। स्थानीय पुलिस प्रशासन और कानून व्यवस्था पर सवाल उठते हैं, क्योंकि कुछ थाना अधिकारी कथित रूप से इस पूरे खेल में शामिल हैं।

अब यह सवाल उठता है कि क्या ऐसे आयोजनों में हमारे परिवार सुरक्षित हैं? क्या हम अपने बच्चों को ऐसे माहौल में जाने देना चाहेंगे, जहां नशे का कारोबार खुलेआम चलता है?

समाज को स्वयं उठाने होंगे कदम

समाज के जागरूक नागरिकों को इस तरह के आयोजनों का विरोध करना चाहिए और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग करनी चाहिए। होली जैसे शुभ अवसरों को नशे की चपेट में जाने से बचाने के लिए सभी को सतर्क रहना होगा।

आपका फैसला:
आप अपने परिवार के साथ सुरक्षित और पारंपरिक रूप से होली मनाना चाहते हैं, या ऐसे आयोजनों का हिस्सा बनकर नशे की गिरफ्त में आना चाहते हैं? फैसला आपका है!

Shaurya Times

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- नीतू विश्वकर्मा

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