उल्हासनगर में फिर शुरू ‘गड्ढा मरम्मत’ का खेल? करोड़ों की लूट के बाद अब 60 लाख के नए टेंडर — कौन देगा जवाब?

उल्हासनगर : नीतू विश्वकर्मा
उल्हासनगर की जनता वर्षों से जर्जर सड़कों और गड्ढों की मार झेल रही है। पिछले 10 से 12 वर्षों में सड़कों की मरम्मत और डामरीकरण के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं। लेकिन सड़कों की हालत जस की तस बनी हुई है — गड्ढे जस के तस, समस्याएं जस की तस।
अब एक बार फिर उल्हासनगर महानगरपालिका (UMC) ने प्रत्येक प्रभाग समिति के लिए 10 लाख रुपये के नए मरम्मत टेंडर घोषित किए हैं। शहर की चार प्रभाग समितियों के लिए यह खर्च कुल 40 से 60 लाख रुपये तक पहुंच सकता है।
प्रशासन दावा कर रहा है कि इस बार “गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होगा”, लेकिन जनता का विश्वास अब डगमगा चुका है। वर्षों से हर साल यही कहानी दोहराई जाती है — बजट पास होता है, टेंडर दिए जाते हैं, लेकिन सड़कों पर फर्क नजर नहीं आता।
अब जनता के सवाल सीधा UMC से:
क्या फिर वही पुराने ठेकेदार इस काम को अंजाम देंगे?
इस बार गुणवत्ता की असली गारंटी कौन देगा?
और सबसे अहम — अब तक गड्ढों पर खर्च हुए करोड़ों रुपये का हिसाब कौन देगा?
शहर की जनता का सीधा आरोप है:
> “यह मरम्मत नहीं, हर साल दोहराया जाने वाला लूट का बहाना है!”
❗ उल्हासनगर महानगरपालिका से अब जनता को आश्वासन नहीं, जवाब चाहिए!
🟥 क्या यह टेंडर पारदर्शी है?
🟥 क्या गड्ढों की राजनीति कभी रुकेगी?
🟥 क्या UMC जनता के पैसों का सही उपयोग कर रही है?
उल्हासनगर के नागरिकों की माँग है कि इस बार काम शुरू होने से पहले टेंडर प्रक्रिया, ठेकेदारों का चयन और गुणवत्ता नियंत्रण की विस्तृत जानकारी सार्वजनिक की जाए। वरना यह मामला सिर्फ एक और घोटाले में तब्दील हो जाएगा।
अब वक्त है जवाबदेही का, सिर्फ दिखावे का नहीं!