हाईकोर्ट का बड़ा आदेश — सीमा हॉलीडे होम रिसोर्ट और सेक्रेट हार्ट स्कूल के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश!




कल्याण (वरपगांव): नीतू विश्वकर्मा
वरप, कल्याण स्थित विवादित सीमा हॉलीडे होम रिसोर्ट एवं सिक्रेड हार्ट स्कूल से संबंधित जनहित याचिका पर मुंबई उच्च न्यायालय ने बड़ा निर्णय सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश आलोक आराधे और न्यायमूर्ति संदीप वी. मारणे की खंडपीठ ने ठाणे जिलाधिकारी को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा है कि सीमा रिसोर्ट के अनधिकृत निर्माण पर सख्त कार्रवाई की जाए, और लंबित ₹19,92,300/- का जुर्माना वसूला जाए।
🚨 क्या है मामला?
साल 2005 में पत्रकार अजित रामकृष्ण म्हात्रे, संतोष होळकर और समाजसेवक बालसुंदरम आरसन ने याचिका दायर की थी, जिसमें वरप गांव के सर्वे नं. 50/E समेत कई क्षेत्रों में पप्पू कालानी द्वारा किए गए अवैध निर्माण की शिकायत की गई थी। आरोप यह भी था कि उस जमीन पर असली भूमिहीन किसानों को शासन ने जमीन दी थी, लेकिन बाद में वहां भराव डालकर कब्जा किया गया और रिसॉर्ट बना दिया गया।
1992 में तत्कालीन जिलाधिकारी मधुकर पाटील ने सीमा रिसोर्ट को जमीनदोस्त घोषित किया था और ₹19.92 लाख का जुर्माना भी लगाया गया था। लेकिन वर्ष 2002 में कल्याण तहसीलदार द्वारा विवादित तरीके से यह जुर्माना माफ कर दिया गया। याचिकाकर्ताओं ने इसे सत्ता के दुरुपयोग और गरीब किसानों के साथ अन्याय बताया।
⚖️ कोर्ट के स्पष्ट निर्देश:
- जिलाधिकारी ठाणे को सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करने का आदेश।
- पूरे परिसर का सर्वेक्षण कर यह पता लगाने को कहा गया कि क्या निर्माण वास्तव में अवैध है।
- सभी पक्षों को सुनवाई का अवसर देने का निर्देश।
- अवैध निर्माण पाए जाने पर तोड़फोड़ की कार्रवाई की जाए।
- ₹19.92 लाख जुर्माने की वसूली तत्काल की जाए, आवश्यक होने पर उसे भूमि राजस्व बकाया की तरह वसूला जाए।
- जिलाधिकारी को चार सप्ताह के भीतर पूरी कार्रवाई रिपोर्ट सहित पूरी करने का आदेश।
- पुलिस विभाग को जिलाधिकारी को सहयोग प्रदान करने का निर्देश।
📜 अतिरिक्त जानकारी:
सिक्रेड हार्ट स्कूल को भी गांव की 52 गुंठा सरकारी जमीन ग्रामपंचायत की बिना सहमति के अवैध रूप से हस्तांतरित करने का आरोप है।
याचिका के दौरान पत्रकार अजित म्हात्रे का निधन हो गया था, बाद में संतोष होळकर ने वकील ज्ञानेश्वर देशमुख की सहायता से मुकदमा आगे बढ़ाया।
🗣️ वरप ग्रामस्थों की प्रतिक्रिया:
ग्रामस्थों का कहना है कि यह जमीन गांवकन्या योजना के तहत थी और शासन द्वारा अनधिकृत रूप से निजी संस्थान को देना अनुचित है। उन्होंने जमीन पुनः ग्रामस्थों को सौंपने की मांग की है और कहा कि यदि आवश्यकता हुई तो वे पुनः न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाएंगे।
📌 निष्कर्ष:
यह फैसला राज्य में अवैध निर्माण, राजनीतिक संरक्षण और प्रशासनिक लापरवाही के विरुद्ध एक बड़ा संदेश है। यह जनहित याचिका 20 वर्षों के संघर्ष के बाद एक निर्णायक मोड़ पर पहुंची है, जिससे वरप के भूमिहीनों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है।