उल्हासनगर में टोइंग वैन का आतंक: जनता में आक्रोश, पुलिस और प्रशासन पर उठे सवाल?

उल्हासनगर प्रतिनिधि : नीतू विश्वकर्मा
विट्ठलवाड़ी ट्रैफिक पुलिस क्षेत्र में अचानक शुरू हुई टोइंग वैन की कार्रवाई ने शहरवासियों में भय और गुस्से की लहर पैदा कर दी है। बिना किसी आधिकारिक सूचना या स्पष्ट अनुमति के सड़कों पर उतरी यह टोइंग सेवा ट्रैफिक सुधार के बजाय अव्यवस्था और असुरक्षा का कारण बन रही है। स्थानीय नागरिकों ने इस कार्रवाई को मनमानी और भेदभावपूर्ण बताते हुए पुलिस आयुक्त से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
क्या है विवाद?
1. नियमों की अनदेखी, वैधता पर सवाल
विट्ठलवाड़ी ट्रैफिक पुलिस या उल्हासनगर महानगरपालिका ने टोइंग वैन की कार्रवाई को लेकर कोई आधिकारिक आदेश या अधिसूचना जारी नहीं की है। इसके बावजूद वैन सड़कों पर बेतरतीब ढंग से वाहनों को उठा रही हैं। यह अस्पष्टता जनता में संदेह और आक्रोश को जन्म दे रही है। सवाल उठ रहा है — आखिर किसके आदेश पर यह कार्रवाई हो रही है?
2. टोइंग कर्मचारियों की विश्वसनीयता संदिग्ध
स्थानीय लोगों का आरोप है कि टोइंग वैन पर तैनात कर्मचारियों का कोई पुलिस सत्यापन नहीं हुआ है। कई प्रत्यक्षदर्शियों का दावा है कि ये कर्मचारी अक्सर नशे की हालत में रहते हैं, बदसलूकी करते हैं और खुद को पुलिस से भी ऊपर समझते हैं। कुछ नागरिकों ने इन कर्मचारियों के आपराधिक रिकॉर्ड होने की आशंका भी जताई है।
3. भेदभावपूर्ण रवैया
टोइंग वैन केवल दो-पहिया वाहनों को निशाना बना रही हैं, जबकि ऑटोरिक्शा और कारों को छोड़ दिया जा रहा है। यह भेदभाव नागरिकों में असमानता की भावना को जन्म दे रहा है। लोग पूछ रहे हैं — क्या नियम सिर्फ बाइक चालकों के लिए हैं?
4. बुनियादी सुविधाओं का अभाव
शहर में चल रही अंडरग्राउंड ड्रेनेज, पाइपलाइन और सीसीटीवी की खुदाई ने सड़कों को संकरा और अव्यवस्थित बना दिया है। गड्ढों और बैरिकेड्स के बीच पार्किंग की कोई वैकल्पिक व्यवस्था न होने के बावजूद जुर्माना वसूला जा रहा है। नागरिकों का कहना है, “पहले सुविधा दो, फिर सजा दो!”
5. धमकियाँ और नेताओं की संदिग्ध भूमिका
जब नागरिक टोइंग कर्मचारियों से सवाल करते हैं, तो उन्हें कथित तौर पर धमकाया जाता है। कई लोग यह भी पूछ रहे हैं कि क्या यह कार्रवाई किसी विधायक, सांसद या रसूखदार नेता के इशारे पर की जा रही है?
जनता की माँगें: पारदर्शिता और जवाबदेही
नागरिकों ने इस मनमानी कार्रवाई को तुरंत रोकने और निम्नलिखित माँगों को पूरा करने की अपील की है:
1. आधिकारिक स्पष्टीकरण: पुलिस और महानगरपालिका टोइंग कार्रवाई के पीछे के आदेश और नियम स्पष्ट करें।
2. कर्मचारियों की जाँच: टोइंग कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन कर उनकी सार्वजनिक सूची जारी की जाए।
3. निष्पक्ष कार्रवाई: नियम सभी वाहनों — दो-पहिया, ऑटोरिक्शा और कारों — पर समान रूप से लागू हों।
4. वैकल्पिक व्यवस्था: पार्किंग स्थल, ट्रैफिक डायवर्जन और साइनबोर्ड की समुचित व्यवस्था की जाए।
5. जन संवाद: ट्रैफिक विभाग, नागरिकों और व्यावसायिक संगठनों की संयुक्त बैठक आयोजित की जाए।
खतरे की घंटी: कानून-व्यवस्था पर संकट
यदि इस अव्यवस्थित टोइंग सेवा पर तुरंत अंकुश नहीं लगाया गया, तो यह शहर में कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर संकट खड़ा कर सकती है। स्थानीय निवासियों ने चेतावनी दी है कि जनता का गुस्सा बढ़ता जा रहा है और यह असंतोष सड़कों पर प्रदर्शन के रूप में फूट सकता है।
पुलिस और प्रशासन से अपील
नागरिकों ने पुलिस आयुक्त और उल्हासनगर के महापौर से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि ट्रैफिक प्रबंधन के नाम पर हो रही इस मनमानी को रोका जाए, ताकि सड़क सुरक्षा और नागरिक अधिकार दोनों सुरक्षित रह सकें।
अब सवाल यह है: क्या प्रशासन जनता की आवाज सुनेगा, या टोइंग वैन का यह आतंक शहर में और अधिक अराजकता फैलाएगा?