“महावितरण (MSEB) की लापरवाही: उल्हासनगर में जर्जर तारों से दुर्घटना का खतरा, तत्काल कार्रवाई की मांग”

उल्हासनगर प्रतिनिधि : नीतू विश्वकर्मा
महावितरण (MSEB) की घोर लापरवाही से उल्हासनगर 1-5 की जनता जोखिम-भरी अंधेरे में — जर्जर तारों से कभी भी हो सकती है बड़ी दुर्घटना, ऊर्जा मंत्री व महाप्रबंधक तत्काल हस्तक्षेप करें!
उल्हासनगर के सभी पाँच सेक्टर (उल्हासनगर-1 से उल्हासनगर-5) में महावितरण (पूर्व MSEB) की लापरवाही जानलेवा स्तर तक पहुँच चुकी है। ताज़ा मामला MIDC रोड, म्हारळगांव स्थित श्रीराम कॉलोनी का है, जहाँ एक ही खंभे पर कई जर्जर और खुली बिजली लाइनों का जाल लटक रहा है। स्थानीय नागरिक महीनों से शिकायतें दर्ज करा रहे हैं, पर विभाग के अधिकारियों ने अब तक स्थायी समाधान की दिशा में एक भी ठोस कदम नहीं उठाया।
समस्या का दायरा केवल म्हारळगांव तक सीमित नहीं
उल्हासनगर-1 से 5 तक अधिकांश गलियों में पुराने पोलों पर खुले तार झूल रहे हैं।
हर दिन किसी न किसी जगह से तार टूटने, चिंगारी या हल्की आग की घटनाएँ सामने आती हैं।
क्षेत्रीय अधिकारी अक्सर फोन नहीं उठाते या उनका नंबर बंद मिलता है, जबकि खदानों, अनधिकृत गोदामों, विवाह हॉलों और बिना अनुमति बनी इमारतों की बिजली व्यवस्था को प्राथमिकता दी जा रही है।
कर्मचारियों और जनता—दोनों की जान पर खतरा
अधिकारी सिर्फ अस्थायी पैच-वर्क करवा कर चले जाते हैं। तार बदलने या नया पोल लगाने जैसे स्थायी उपाय टाले जा रहे हैं। इससे
लाइन-मैन की सुरक्षा दाँव पर है;
बरसात के मौसम में विद्युत करंट से आम राहगीर के हताहत होने का खतरा कई गुना बढ़ गया है;
बार-बार ट्रिपिंग के कारण घरों व दुकानों के उपकरण भी क्षतिग्रस्त हो रहे हैं।
यह लापरवाही “सेफ़्टी स्टैंडर्ड” का खुला उल्लंघन
भारतीय विद्युत अधिनियम-2003 तथा CEA सेफ़्टी रेगुलेशन-2010 के मुताबिक
11 kV लाइन के तार जमीन से न्यूनतम 5.8 मीटर ऊपर होने चाहिए; नग्न या क्षतिग्रस्त कंडक्टर तुरंत बदले जाने अनिवार्य हैं। इन मानकों का निरंतर उल्लंघन दण्डनीय अपराध है, फिर भी महावितरण क्षेत्रीय कार्यालय बेपरवाह बना हुआ है।
उच्च स्तरीय कार्रवाई की माँ
हम, उल्हासनगर की जागरूक जनता और मीडिया संस्थान, ऊर्जा विभाग के माननीय मंत्री, महावितरण के प्रबंध निदेशक, ठाणे परिमंडल-II के मुख्य अभियंता तथा कल्याण अंचल के अधीक्षण अभियंता से आग्रह करते हैं कि वे—
1. 24 घंटे के भीतर तकनीकी निरीक्षण कराएँ और तुरंत मरम्मत कार्य शुरू करवाएँ।
2. दोषी अधिकारियों व ठेकेदारों पर सस्पेंशन व विभागीय जांच का आदेश जारी करें।
3. उल्हासनगर-1 से 5 में विशेष सुरक्षा ऑडिट कर 30 दिन के भीतर रिपोर्ट सार्वजनिक करें।
4. नागरिकों के लिए 24×7 आपदा हेल्पलाइन और ऑनलाइन ट्रैकर शुरू करें, ताकि शिकायत की अद्यतन स्थिति दिखाई दे।
जन-सुरक्षा से बड़ा कोई प्रोजेक्ट नहीं। समय रहते ठोस कदम न उठाए गए तो छोटी-सी चिंगारी बड़ी त्रासदी में बदल सकती है—और इसकी नैतिक, कानूनी व आपराधिक जिम्मेदारी महावितरण अधिकारियों पर ही होगी।
> “हम बिजली माँगते हैं, दहशत नहीं।”
— उल्हासनगर के नागरिक