“राजेश गेमनानी का झूठ बेनकाब – ठाणे क्राइम ब्रांच की ‘बी समरी’ रिपोर्ट ने किया बड़ा खुलासा”

उल्हासनगर : नीतू विश्वकर्मा
₹1 करोड़ की कथित खंडणी मामले में आया बड़ा मोड़ – शिकायतकर्ता की साजिश का पर्दाफाश!
उल्हासनगर के बहुचर्चित ₹1 करोड़ खंडणी प्रकरण में अब नया और चौंकाने वाला मोड़ सामने आया है। ठाणे क्राइम ब्रांच यूनिट-4 द्वारा अदालत में दाखिल 682 पन्नों की ‘बी समरी’ रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि शिकायतकर्ता राजेश गेमनानी द्वारा की गई शिकायत पूरी तरह झूठी, बेबुनियाद और षड्यंत्रपूर्ण थी।
इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होते ही पूरे शहर में राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हड़कंप मच गया है।
🔎 पृष्ठभूमि — TDR घोटाले का खुलासा और बदले की साजिश
कुछ महीने पहले राष्ट्र कल्याण पार्टी और प्रहार जनशक्ति पार्टी के पदाधिकारियों ने उल्हासनगर में ₹100 करोड़ से अधिक के टीडीआर घोटाले का खुलासा किया था। इस गंभीर खुलासे के बाद राज्य सरकार ने टीडीआर प्रक्रिया में अनियमितताओं को स्वीकारते हुए संबंधित प्रकरणों पर रोक लगा दी थी।
इसी पृष्ठभूमि में, राष्ट्र कल्याण पार्टी के अध्यक्ष शैलेश तिवारी और प्रहार जनशक्ति पार्टी के ठाणे जिलाध्यक्ष स्वप्निल पाटिल पर दिसंबर 2024 में ₹1 करोड़ की खंडणी मांगने का आरोप लगाया गया था। शिकायतकर्ता ने यह भी दावा किया था कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने ₹5 लाख नकद स्वीकार भी किए हैं।
लेकिन शुरुआत से ही तिवारी और पाटिल ने इन आरोपों को राजनीतिक प्रतिशोध बताते हुए खारिज किया। उन्होंने 3 जनवरी 2025 को ठाणे पुलिस आयुक्तालय के बाहर जोरदार धरना प्रदर्शन कर या तो निष्पक्ष जांच या त्वरित गिरफ्तारी की मांग की थी।
📑 क्राइम ब्रांच की जांच रिपोर्ट – ‘बी समरी’ में क्या है?
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए जांच को ठाणे क्राइम ब्रांच यूनिट-4 को सौंपा गया था। महीनों की गहन जांच-पड़ताल के बाद जून 2025 में अदालत में ‘बी समरी’ रिपोर्ट दाखिल की गई। रिपोर्ट में तीन बेहद महत्वपूर्ण बिंदुओं पर स्पष्ट निष्कर्ष दिया गया:
1. राजेश गेमनानी द्वारा दर्ज शिकायत पूर्णतः असत्य, झूठी और गढ़ी हुई थी।
2. इस झूठी शिकायत का उद्देश्य केवल टीडीआर घोटाले का खुलासा करने वाले नेताओं को बदनाम करना और प्रतिशोध लेना था।
3. शैलेश तिवारी और स्वप्निल पाटिल के खिलाफ खंडणी का कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सबूत नहीं पाया गया।
⚖️ अब अगला सवाल — क्या झूठे आरोप लगाने वालों पर होगी कार्रवाई?
रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को झूठे मुकदमों में फंसाने की साजिश रची गई थी। अब पूरे उल्हासनगर की निगाहें अदालत और प्रशासन पर टिकी हैं —
क्या झूठी शिकायत करने वाले राजेश गेमनानी और झूठा बयान देने वाले तत्कालीन नगर रचनाकार ललित खोब्रागड़े पर कानूनी कार्रवाई होगी?
🗣️ जनता की मांग – अब साजिशकर्ताओं को मिले सज़ा
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद शहरवासियों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि:
झूठे आरोप लगाने वालों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए।
सत्य को दबाने वाले तंत्र की जवाबदेही तय की जाए।
भ्रष्टाचार उजागर करने वालों को सुरक्षा और न्याय मिले।
🔚 निष्कर्ष — सत्य को दबाया जा सकता है, मिटाया नहीं
यह प्रकरण अब केवल एक खंडणी केस नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिशोध, प्रशासनिक साजिश और भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक बन चुका है। यह स्पष्ट हो गया है कि सत्य को चाहे जितना दबाने की कोशिश हो, वह सामने आकर ही रहता है।