उल्हासनगर के सिंधी समाज को मिलेगा मालिकाना हक, मुख्यमंत्री व महसूल मंत्री से प्रतिनिधिमंडल ने की मुलाकात।




उल्हासनगर। नीतू विश्वकर्मा
देश के विभाजन के बाद विस्थापित हुए सिंधी समाज को लगभग 78 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद उनकी पट्टे की जमीनों का मालिकाना हक मिलने जा रहा है। महाराष्ट्र में भाजपा सरकार के नेतृत्व में यह ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है, जिससे सिंधी समाज में खुशी की लहर दौड़ गई है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और महसूल मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले द्वारा आदेश जारी किया गया है कि महाराष्ट्र भर में जहां-जहां सिंधी समाज को पट्टे पर जमीनें मिली हैं, वहां उन्हें मालिकाना हक दिया जाएगा। सरकार द्वारा तय कम दरों पर यह प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
हालांकि इस आदेश में उल्हासनगर को फिलहाल बाहर रखा गया है, लेकिन सिंधी समाज की विशेष स्थिति को देखते हुए सरकार ने यहां के लिए विशेष पैकेज देने की घोषणा की है। इससे उल्हासनगर के सिंधी समाज को भी मालिकाना हक प्राप्त करने में आसानी होगी और उन्हें किसी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा।
इस संबंध में महाराष्ट्र राज्य सिंधी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष महेश सुखरामानी ने सिंधी समाज के प्रतिनिधिमंडल के साथ मुख्यमंत्री फडणवीस और महसूल मंत्री बावनकुले से मुलाकात की। उन्होंने सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए उनका अभिनंदन किया और उल्हासनगर की विशेष समस्याएं भी उनके समक्ष रखीं।
मुख्यमंत्री व महसूल मंत्री ने सकारात्मक रुख दिखाते हुए उल्हासनगर के लिए विशेष पैकेज की घोषणा करने का आश्वासन दिया, जिससे यहां के सिंधी समाज को भी जल्द मालिकाना हक मिल सके।
इस प्रतिनिधिमंडल में महेश सुखरामानी के साथ नागपुर से वीरेंद्र कुकरेजा, लदाराम नागवानी, जय नागवानी, डॉ. राम जव्हारानी, मुकेश रूपानी, सुनील भाटिया, कमल ग्लानी, सुरेश ग्लानी, शंकर गुरनानी, भूषण वाधवानी, अजय पंजाबी सहित कई प्रमुख लोग शामिल थे।