उल्हासनगर में पानी के बिलों पर सियासी ड्रामा? एक हफ्ते की चेतावनी के बाद भी सन्नाटा!

उल्हासनगर, प्रतिनिधि – नीतू विश्वकर्मा
उल्हासनगर शहर में पानी के बिलों में अचानक और भारी बढ़ोतरी ने नागरिकों की जेब पर सीधा असर डाला है। बीते सप्ताह विभिन्न राजनीतिक दलों ने नगर आयुक्त को ज्ञापन सौंपते हुए एक सप्ताह की चेतावनी दी थी कि अगर बिलों में तात्कालिक राहत नहीं दी गई, तो वे सड़क पर उतरकर उग्र आंदोलन करेंगे। लेकिन अब समय सीमा बीत चुकी है और न तो किसी आंदोलन की भनक है, न ही किसी नेता की प्रतिक्रिया सामने आई है।
इस चुप्पी ने उल्हासनगर की जनता को गहराई से आहत किया है। नागरिकों का कहना है कि नेताओं ने सिर्फ मीडिया की सुर्खियों में आने के लिए “प्रदर्शन” का दिखावा किया। “यह सब एक पूर्व-नियोजित ड्रामा था। असली मुद्दों को हल करने की मंशा किसी में नहीं दिख रही,” – ऐसा कहना है स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का।
अब जब नेताओं की आवाज़ खामोश है, तो नागरिक खुद मोर्चा संभालने को तैयार हो रहे हैं। जगह-जगह मीटिंग्स, व्हाट्सऐप ग्रुप्स में चर्चाएं और सोशल मीडिया पर विरोध जताया जा रहा है। एक ही सवाल गूंज रहा है – “नेताओं की धमकी थी या सस्ती लोकप्रियता का हथकंडा?”
जनता का गुस्सा अब सड़कों पर उतरने को तैयार है। आने वाले दिनों में यदि प्रशासन और राजनीतिक दल फिर से मौन साधे रहे, तो यह आंदोलन खुद-ब-खुद जनआंदोलन का रूप ले सकता है।