ArticleAwarenessBreaking NewsCorruptionCorruption CaseCrimeCrime citycriminal offencefeaturedfraudulentGadgetsgamblingguidelines CrimeheadlineHeadline TodayHill line police stationLife StyleLifestylelocalityMedical activitiesnationalNo justicepoliticalpoliticsprotest for justicepublic awarenessRTI ActivistscamShaurya TimesSocialtrendingUlhasnagarUlhasnagar Breaking NewsUMC Breaking newsUnder DCP Zone-4Viral VideoVitthal wadiVitthalwadivitthalwadi police station

शिवनेरी हॉस्पिटल की चौंकाने वाली लापरवाही: जीवित बुजुर्ग को मृत घोषित कर जारी किया गया डेथ सर्टिफिकेट!


उल्हासनगर : नीतू विश्वकर्मा

उल्हासनगर के प्रतिष्ठित माने जाने वाले शिवनेरी हॉस्पिटल में एक बेहद चौंकाने वाली चिकित्सकीय लापरवाही सामने आई है, जिसने न सिर्फ परिजनों को झकझोर कर रख दिया, बल्कि पूरे चिकित्सा तंत्र की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा कर दिया है। 65 वर्षीय बुजुर्ग अभिमान तायडे को डॉक्टर ने जिंदा होते हुए भी मृत घोषित कर दिया और अस्पताल प्रशासन ने तुरंत डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिया।

मामले के अनुसार, तायडे कुछ समय से बीमार थे और मुंबई में उनका इलाज चल रहा था। अचानक तबीयत बिगड़ने पर परिजन उन्हें रिक्शा से उल्हासनगर के शिवनेरी हॉस्पिटल लाए। यहां डॉ. आहुजा ने अस्पताल के बाहर ही बिना किसी जांच के उन्हें मृत घोषित कर दिया।

हैरानी की बात यह रही कि बिना ECG, पल्स या हार्टबीट चेक किए ही मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया। परिजन अंतिम संस्कार की तैयारियों में जुट गए थे कि तभी उन्होंने देखा—अभिमान तायडे की छाती में हरकत हो रही है और सांसें चल रही हैं।

परिवार तुरंत उन्हें पास के एक निजी अस्पताल ले गया, जहां डॉक्टरों ने तेजी से इलाज शुरू किया और थोड़ी ही देर में अभिमान तायडे को होश आ गया। मरीज की जान बच गई, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने चिकित्सा लापरवाही की गंभीरता को उजागर कर दिया।

डॉक्टर की सफाई: “गलती हो गई”

डॉ. आहुजा ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा, “मुझे रोगी की नब्ज नहीं मिली और शोरगुल के कारण धड़कनें सुनाई नहीं दीं। मैं अपनी गलती के लिए क्षमा चाहता हूं।”

मरीज ने दी राहत की खबर

अभिमान तायडे ने होश में आने के बाद कहा, “मुझे पीलिया हुआ था, लेकिन अब तबीयत ठीक है। मैंने खाना भी खा लिया है।”




प्रशासन से उठे सवाल: क्या होगी कोई कार्रवाई?

इस लापरवाही से राहत के साथ-साथ परिजनों में भारी आक्रोश है। सवाल यह है कि इतनी बड़ी लापरवाही के बावजूद क्या डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कोई कठोर कदम उठाया जाएगा? क्या भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कोई मजबूत नीति बनेगी?

यह सिर्फ एक इंसान की जान से जुड़ा मसला नहीं, बल्कि समूचे स्वास्थ्य तंत्र की जवाबदेही और ईमानदारी पर भी गहरा सवाल है। अब देखना यह है कि स्वास्थ्य विभाग इस घटना पर क्या रुख अपनाता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights