उल्हासनगर में मुस्लिम समाज के धार्मिक अधिकारों की अनदेखी पर आंदोलन तेज — दफनभूमि मंजूरी के लिए मुस्लिम जमात सेवा फाउंडेशन का आमरण अनशन आज से शुरू!






उल्हासनगर प्रतिनिधि : नीतू विश्वकर्मा
उल्हासनगर में मुस्लिम दफनभूमि की मंजूरी को लेकर आंदोलन तेज — मुस्लिम जमात सेवा फाउंडेशन का आमरण अनशन आज से शुरू, “लाईफ केअर फाउंडेशन” ने किया पूर्ण समर्थन
📍 उल्हासनगर, 5 जून 2025 —
उल्हासनगर में मुस्लिम समाज की धार्मिक आवश्यकताओं की अनदेखी और प्रशासनिक टालमटोल के विरुद्ध आज से मुस्लिम जमात सेवा फाउंडेशन द्वारा श्रृंखलाबद्ध आमरण अनशन की शुरुआत की गई है। यह संघर्ष महज एक भूखंड की लड़ाई नहीं, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता, संवैधानिक अधिकार और सामाजिक न्याय की पुनर्स्थापना की हुंकार है।
🔍 क्या है विवाद?
उल्हासनगर-5 के कैलाश कॉलोनी स्थित भूखंड क्रमांक 244 को वर्ष 1974 में मुस्लिम दफनभूमि के लिए आरक्षित किया गया था। इसके बाद वर्ष 2019 में तत्कालीन मनपा आयुक्त श्री सुधाकर साहेब द्वारा इसे औपचारिक रूप से मुस्लिम दफनभूमि घोषित किया गया।
फिर भी, इस भूखंड पर अब तक दफनविधि की मंजूरी नहीं दी गई, जिसके पीछे प्रशासन की उदासीनता, और कुछ अधिकारियों की ओर से भूमाफियाओं के दबाव में लिया गया पक्षपातपूर्ण रवैया माना जा रहा है।
📣 प्रमुख मांगें:
- भूखंड क्रमांक 244 पर दफनविधि की तत्काल मंजूरी दी जाए।
- मुस्लिम समाज की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए प्रशासन दखलअंदाजी बंद करे।
- किसी भी प्रकार की राजनीतिक या कानूनी रुकावट स्पष्ट रूप से समाप्त की जाए।
✊ नेतृत्व और सामाजिक समर्थन
इस आंदोलन का नेतृत्व अनिलकुमार सिन्हा, जलील खान (अध्यक्ष, मुस्लिम जमात सेवा फाउंडेशन) और शकील खान (कार्याध्यक्ष) कर रहे हैं।
इन नेताओं ने दो टूक कहा कि “यह आंदोलन सिर्फ मुस्लिम समाज का नहीं, बल्कि हर उस नागरिक की आवाज़ है जो संविधान में दिए गए समान अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता में विश्वास रखता है।”
💬 “यह सिर्फ एक भूखंड की लड़ाई नहीं, यह संविधान में प्रदत्त अधिकारों की बहाली की मांग है।”
— जलील खान, अध्यक्ष, मुस्लिम जमात सेवा फाउंडेशन
🤝 लाईफ केअर फाउंडेशन का पूर्ण समर्थन
इस आंदोलन को लाईफ केअर फाउंडेशन (NGO) ने लिखित पत्र के माध्यम से पूर्ण समर्थन दिया है। संस्था ने अपने पत्र में यह स्पष्ट किया है कि वह मुस्लिम जमात सेवा फाउंडेशन के उपोषण के साथ खड़ी है और प्रशासन से दफनभूमि की मंजूरी की मांग करती है।
📢 समर्थन की अपील:
मुस्लिम जमात सेवा फाउंडेशन ने उल्हासनगर के हर धर्मनिरपेक्ष नागरिक, सामाजिक संगठन, मानवाधिकार कार्यकर्ता, और जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि वे इस आंदोलन में सहभागी बनें और धार्मिक स्वतंत्रता की इस लड़ाई में साथ खड़े हों।
❗ यह मामला अब केवल एक क्षेत्रीय मुद्दा नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों की अग्नि परीक्षा बन चुका है। राज्य सरकार, मानवाधिकार आयोग और उल्हासनगर प्रशासन को अब निर्णय लेना ही होगा — क्या वे संविधान के साथ हैं, या उसकी उपेक्षा के साथ?