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महाराष्ट्र में होटल और बार सोमवार को बंद: टैक्स वृद्धि के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन

उल्हासनगर : नीतू विश्वकर्मा


महाराष्ट्र में होटल और बार संचालकों ने राज्य सरकार द्वारा शराब पर उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी), वैट और लाइसेंस फीस में की गई अप्रत्याशित वृद्धि के विरोध में सोमवार, 14 जुलाई 2025 को राज्यभर में एक दिवसीय सांकेतिक बंद की घोषणा की है।

इस बंद का आह्वान इंडियन होटल एंड रेस्टोरेंट असोसिएशन (AHAR) ने किया है, जिसे हॉटेल अँड रेस्टोरंट असोसिएशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया (HRAWI) और नेशनल रेस्टोरेंट असोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) समेत कई संगठनों का समर्थन प्राप्त है।

बंद के चलते राज्यभर में 20,000 से अधिक बार, होटल और परमिट रूम पूरे दिन के लिए बंद रहेंगे।



टैक्स वृद्धि से उद्योग पर संकट

होटल और रेस्टोरेंट व्यवसाय से जुड़े संगठनों का कहना है कि राज्य सरकार के हालिया निर्णयों से उद्योग पर आर्थिक दबाव अत्यधिक बढ़ गया है।

बढ़ी हुई दरें इस प्रकार हैं:

वैट (VAT): 5% से बढ़ाकर 10%

लाइसेंस शुल्क: 15% तक की वृद्धि

उत्पादन शुल्क (Excise Duty): 60% तक की बढ़ोतरी


AHAR के अध्यक्ष सुधाकर शेट्टी के अनुसार, ये वृद्धि होटल-बार उद्योग के लिए “कर सुनामी” साबित हो रही है।

उनका कहना है कि यह उद्योग, जिसकी कुल वार्षिक वैल्यू 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, पहले से ही अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा है। अब कर भार में इस तरह की अचानक बढ़ोतरी, हजारों छोटे-मझोले उद्यमों के समापन का कारण बन सकती है।



उल्हासनगर में भी बंद का व्यापक समर्थन

होटल बार मालिक संघटना, उल्हासनगर ने भी इस बंद का समर्थन करते हुए सभी स्थानीय बार और होटल संचालकों से अपील की है कि वे 14 जुलाई को अपने प्रतिष्ठान पूर्णतः बंद रखें, और दोपहर 1 बजे ‘प्रवीण इंटरनेशनल होटल’ में आयोजित विरोध सभा में कम से कम 5 स्टाफ सदस्यों सहित उपस्थित रहें।

सभा के दौरान सभी प्रतिभागियों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई है।

कार्यक्रम के आयोजक एवं पदाधिकारी:

प्रकाश शेट्टी – अध्यक्ष

नानिक आहूजा – उपाध्यक्ष

नरेश खंडारे – सचिव

सुरेन्द्र अन्ना – कोषाध्यक्ष




राज्य सरकार की अपील, लेकिन असोसिएशन अडिग

राज्य उत्पादन शुल्क विभाग ने होटल व्यवसायियों से हड़ताल पर न जाने की अपील की है और सभी संगठनों से आग्रह किया है कि वे कानूनी प्रक्रिया के तहत अपनी आपत्तियाँ प्राधिकृत अधिकारियों के समक्ष रखें।

हालांकि, संगठनों का कहना है कि वर्तमान परिस्थिति में वार्ता से पहले आवश्यक है कि सरकार टैक्स वृद्धि पर पुनर्विचार करे।

HRAWI अध्यक्ष जिमी शॉ के अनुसार, यह आंदोलन केवल उद्योग की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि उससे जुड़े 20 लाख से अधिक कर्मचारियों और उनके परिवारों की आजीविका के लिए भी ज़रूरी है।



निष्कर्ष

सरकार द्वारा टैक्स में की गई भारी वृद्धि ने होटल-बार क्षेत्र में व्यापक असंतोष पैदा कर दिया है।

व्यवसायियों का मानना है कि यदि शीघ्र ही राहत नहीं मिली, तो राज्य में बार और होटल उद्योग का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है।

14 जुलाई का बंद केवल एक चेतावनी है — यदि माँगें नहीं मानी गईं, तो यह संघर्ष अधिक व्यापक और दीर्घकालिक रूप ले सकता है।

Shaurya Times

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