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शिवसेना से निष्कासन के बाद भी सागर उटवाल की कार पर पार्टी का लोगो और विधानमंडळ पास 2023: कानून का उल्लंघन?

उल्हासनगर: नीतू विश्वकर्मा

शिवसेना से निष्कासित किए जाने के बाद भी उल्हासनगर के सागर उटवाल की कार पर पार्टी का आधिकारिक लोगो (स्टिकर) और महाराष्ट्र विधानमंडळ पास 2023 होने का मामला सामने आया है। इससे एक नया विवाद खड़ा हो गया है और यह सवाल उठ रहा है कि यह पास उनके पास कैसे बना हुआ है। पार्टी ने समाज विरोधी व्यवहार के आरोप में उटवाल को निष्कासित किया था, लेकिन उन्होंने अभी भी शिवसेना की छवि का उपयोग जारी रखा है।

शिवसेना की कड़ी कार्रवाई – मानहानिकारक कार्यों का आरोप

सागर उटवाल पर आरोप है कि उन्होंने खुद को सांसद डॉ. श्रीकांत शिंदे का करीबी बताकर नागरिकों से लाखों रुपये लिए। उन्होंने लोगों को प्रवेश प्रक्रिया के लिए आश्वासन दिया था और लेन-देन के स्क्रीनशॉट भी सबूत के तौर पर सामने आए हैं। शिकायत मिलने के 24 घंटे के भीतर ही उटवाल ने पैसे वापस कर दिए।

पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचने के कारण शिवसेना के कल्याण जिला प्रमुख गोपाल लांडगे ने उन्हें निष्कासित करने की घोषणा की। पार्टी ने स्पष्ट किया कि लगातार आ रही शिकायतों के कारण यह निर्णय लिया गया है।

कार पर शिवसेना स्टिकर और विधानमंडळ पास 2023 – कानून का उल्लंघन?

शिवसेना से निष्कासित किए जाने के बाद भी सागर उटवाल की कार पर पार्टी का आधिकारिक लोगो और महाराष्ट्र विधानमंडळ का पास 2023 होने का मामला सामने आया है। यह पास केवल अधिकृत व्यक्तियों को ही जारी किया जाता है, लेकिन उटवाल के निष्कासन के बाद भी यह पास उनके पास कैसे है? यह एक गंभीर सवाल खड़ा करता है।

स्थानीय नागरिकों और राजनीतिक हलकों में गुस्सा है और सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा तेजी से वायरल हो रहा है। नागरिकों और राजनीतिक नेताओं ने प्रशासन से त्वरित कार्रवाई करने की मांग की है।

प्रशासन और पुलिस की भूमिका क्या होगी?

शिवसेना से निष्कासित किए जाने के बाद भी पार्टी के लोगो और सरकारी पास का उपयोग जारी रखना स्पष्ट रूप से कानून का उल्लंघन है। अब इस मामले में प्रशासन और पुलिस की क्या भूमिका होगी? पास का दुरुपयोग करने वाले के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी? उटवाल ने किसकी मदद से यह पास बनाए रखा? इन सभी सवालों की गहन जांच की जरूरत है।

आगे की राजनीतिक गतिविधियों पर नजर

सागर उटवाल के भविष्य में नागरिक सेवक के रूप में चुनाव लड़ने की तैयारी करने की चर्चा है। हालांकि, पार्टी से निष्कासित किए जाने के बाद भी उन्होंने शिवसेना के नाम का उपयोग क्यों जारी रखा? और उनके खिलाफ आगे क्या कार्रवाई होगी? यह सभी के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है।

प्रशासन और पुलिस को इस मामले में तत्काल कदम उठाने की जरूरत है ताकि कानून का सही तरीके से पालन सुनिश्चित हो सके।

Shaurya Times

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